

एआईसीसी महासचिव और कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी के यूपी की रायबरेली सीट से चुनावी मैदान में उतरने के कयास लगाये जा रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
रायबरेली: प्रियंका गांधी कहां से लड़ेंगी चुनाव? इस बड़े सवाल का हल कांग्रेस आलाकमान ने करीब ढूंढ़ लिया है। बस इंतजार है तो पहले चरण के चुनाव के पूरे होने का। इसके बाद रायबरेली के मैदान में प्रियंका के उतरने के संकेत रविवार को जिला कार्यकारिणी को मिले हैं। इसके बाद से शांत बैठे कार्यकर्ता रविवार को उत्साहित नजर आए।
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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार प्रियंका को यहां से चुनाव लड़ाने के लिए जिला कमेटी के पदाधिकारी फरवरी में दस जनपथ पहुंच कर गुहार लगा चुके हैं। रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए इस चुनाव में बहुत महत्वपूर्ण है। सपा के साथ गठबंधन के कारण कांग्रेस के हिस्से में 17 सीटें आईं हैं।
कांग्रेस के थिंक टैंक का मानना है कि प्रियंका गांधी यदि रायबरेली से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करती हैं तो इसका एक बड़ा संदेश प्रदेश की हर लोकसभा सीट पर जाएगा, जिसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिलेगा।
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जानकारों की माने तो रायबरेली में प्रियंका गांधी की लोकप्रियता उसी तरह है जिस तरह उनकी दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी की। प्रियंका ने पहली बार रायबरेली में 1999 के लोकसभा चुनाव के दौरान कदम रखा। उस समय कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन सतीश शर्मा के चुनाव की पूरी बागडोर प्रियंका ने संभाली।
इसका नतीजा यह रहा कि कैप्टन सतीश शर्मा ने चुनाव जीता। प्रियंका ने इस दौरान जिले में घूम-घूमकर प्रचार किया था। सन 2004 के लोकसभा चुनाव में जब सोनिया गांधी मैदान में उतरीं तो प्रियंका ने उनके चुनाव का प्रबंधन खुद संभाला।
राजनीतिक समीक्षकों रायबरेली की सियासी समझ प्रियंका को बखूबी है। वर्ष 2009 में जब बसपा ने आरपी कुशवाहा को चुनाव में उतारा तो प्रियंका ने एससी बहुल क्षेत्रों में ताबड़तोड़ प्रचार किया और घर-घर जाकर कांग्रेस के लिए वोट मांगे। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी को जीत मिली।
यहां तक की 2016 के जिला पंचायत चुनाव में प्रियंका गांधी की रणनीति का नतीजा रहा कि कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी प्रियंका गांधी ने सदर और हरचंदपुर में सभा की। कांग्रेस ने सदर और हरचंदपुर में जीत भी दर्ज की।
लोकसभा चुनावों का संग्राम अब अपने चरम पर है। कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीटें रायबरेली और अमेठी के पत्ते अभी नहीं खोले हैं।अब देखना यह है कि राजनीतिक विशेषज्ञों के कयास औपचारिक रुप में तब्दील होता है या नहीं।