Joshimath Sinking: जोशीमठ भूधंसाव को उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने बताया इस तरह की आपदा

उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जोशीमठ में भूधंसाव का होना एक ‘प्राकृतिक आपदा’ है और सभी पर्वतीय शहरों का अध्ययन कराया जाएगा। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 14 January 2023, 1:36 PM IST
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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जोशीमठ में भूधंसाव का होना एक ‘प्राकृतिक आपदा’ है और सभी पर्वतीय शहरों का अध्ययन कराया जाएगा।

प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने यहां कहा कि प्राकृतिक आपदा वही है जो मानव-जनित ना हो । उन्होंने कहा, “इसे (जोशीमठ में भूधंसाव को) प्राकृतिक आपदा ही कहेंगे ।”

मुख्य सचिव ने कहा कि अब तक जो रिपोर्ट आ रही हैं, उनके अनुसार जोशीमठ के नीचे कठोर चट्टान नहीं है और इसलिए वहां भूधंसाव हो रहा है।

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जिन शहरों के नीचे कठोर चट्टानें हैं, वहां जमीन धंसने की समस्या नहीं होती है।

संधु ने कहा कि 1976 में भी जोशीमठ में थोड़ी जमीन धंसने की बात सामने आयी थी ।

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में पानी निकलने के बारे में पता करने के लिए विभिन्न संस्थान जांच में लगे हैं।

संधु ने कहा कि विशेषज्ञ जोशीमठ में सभी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं और उनकी रिपोर्ट आने के बाद यह मामला राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा जाएगा और उसके आधार पर ही कोई निर्णय किया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थानों को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है और उन सभी की रिपोर्ट के अध्ययन के लिए एक समिति बनायी जाएगी जो अपना निष्कर्ष देगी ।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसरो की तरफ से सरकार को भूधंसाव के बारे में कोई अधिकृत रिपोर्ट अभी नहीं मिली है । उन्होंने कहा कि सभी पर्वतीय शहरों का अध्ययन किया जाएगा क्योंकि वहां भूस्खलन की समस्या ज्यादा सामने आती है ।