जानिये क्यों अदालत ने देह व्यापार मामले में आरोपियों को किया बरी
महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने देह-व्यापार के एक मामले में शामिल एक लॉज के प्रबंधक सहित चार लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में विफल रहा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने देह-व्यापार के एक मामले में शामिल एक लॉज के प्रबंधक सहित चार लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में विफल रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एएन सिरसीकर ने यह आदेश 19 अप्रैल को पारित किया था, जिसकी एक प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, मीरा रोड पुलिस ने फरवरी 2008 में अपने अधिकार क्षेत्र में एक लॉज पर छापा मारा और पाया कि लड़कियों को देह व्यापार के धंधे में धकेला जा रहा था। उस वक्त पुलिस ने कुछ आरोपियों को मौके से और बाकी आरोपियों को बाद में गिरफ्तार किया।
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अभियोजन पक्ष के मामले में खामियों की ओर इशारा करते हुए अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी ने दावा किया था कि तीन 'पीड़ितों' में से दो नाबालिग थीं लेकिन वह इसे साबित करने के लिए कोई चिकित्सीय सबूत पेश नहीं कर पाए।
अदालत ने कहा, 'मुझे लगता है, जिन पीड़ितों को नाबालिग बताया गया था, वे सबसे अच्छे गवाह हो सकते थे। लेकिन दुर्भाग्य से अभियोजन पक्ष उनकी उपस्थिति को सुनिश्चित नहीं कर सका।'
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के पास यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं था कि आरोपियों में से एक लॉज का मैनेजर था और दूसरा कैशियर था। इसने कहा कि लॉज का मालिक कौन है, यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं था।
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अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रक्रियाओं का पालन करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया।
इसके बाद, अदालत ने चारों आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों की 'अपुष्ट' गवाही अभियुक्तों के अपराध को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है।