जानिये सीएसके मैनेजमेंट को लेकर क्या बोले रविंद्र जडेजा

सीनियर ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा का मानना है कि सभी को समान सम्मान और मुश्किल समय के दौरान खिलाड़ियों के प्रति सहानुभूति चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के प्रबंधन का मजबूत पक्ष है जिसके कारण टीम ने चार इंडियन प्रीमियर लीग खिताब जीते। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 April 2023, 6:40 PM IST
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चेन्नई: सीनियर ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा का मानना है कि सभी को समान सम्मान और मुश्किल समय के दौरान खिलाड़ियों के प्रति सहानुभूति चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के प्रबंधन का मजबूत पक्ष है जिसके कारण टीम ने चार इंडियन प्रीमियर लीग खिताब जीते।

पिछले साल पहले चरण के दौरान सुपरकिंग्स की अगुआई करने वाले जडेजा को वांछित नतीजे नहीं मिले और करिश्माई कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उनकी जगह ली।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, पता चला था कि कप्तानी छोड़ने के बाद जडेजा थोड़ा निराश थे और इस तरह की अटकलें थी कि वह फ्रेंचाइजी को छोड़ना चाहते हैं लेकिन मौजूदा सत्र शुरू होने से काफी पहले ही सभी मतभेद सुलझा लिए गए।

जडेजा ने ‘स्टार स्पोर्ट्स’ से कहा, ‘‘सीएसके प्रबंधन और मालिक (एन श्रीनिवासन) कभी किसी भी खिलाड़ी पर कोई दबाव नहीं डालते। सीएसके के साथ 11 साल बाद भी उनका वही रवैया है। जब आप प्रदर्शन नहीं कर रहे हों तब भी वे आपको बुरा महसूस नहीं होने देते।’’

जडेजा ने कहा कि टीम में कोई छोटा या बड़ा नहीं है और उन्होंने कभी महसूस नहीं किया कि किसी विशेष खिलाड़ी के लिए कोई पूर्वाग्रह है।

उन्होंने कहा, ‘‘सीनियर और जूनियर जैसी कोई चीज नहीं है। यहां तक कि अंडर-19 के किसी भी युवा खिलाड़ी को अन्य सीनियर खिलाड़ियों की तरह ही सम्मान मिलता है। कोई दबाव नहीं है। किसी भी खिलाड़ी के बीच कोई पक्षपात नहीं है, चाहे वे खेल रहे हों या नहीं।’’

जडेजा के लिए सीएसके के प्रशंसक काफी खास हैं जिन्हें ‘व्हिसल पोडू’ ब्रिगेड के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि किस तरह सीएसके ने प्रशंसकों के साथ गहरा संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, विशेषकर जब उन्हें टूर्नामेंट के 2018 सत्र के घरेलू मुकाबले पुणे में खेलने पड़े।

इस ऑलराउंडर ने कहा, ‘‘सीएसके फ्रेंचाइजी ने दो से तीन हजार प्रशंसकों के लिए पुणे में रहने और उन सभी सात मैचों को देखने के लिए पूरी व्यवस्था की। उनके रहने और खाने की व्यवस्था, सब कुछ सीएसके ने किया। साथ ही उन्हें सीएसके की जर्सी भी दी गई थी।’’