जानिये एलजीबीटीक्यूए समुदाय को लेकर क्या कहते हैं मनोचिकित्सक, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

भारत में मनोचिकित्सकों की शीर्ष संस्था ने कहा है कि एलजीबीटीएक्यूए समुदाय के सदस्यों के साथ देश के अन्य नागरिकों की तरह सुलूक किया जाना चाहिए तथा उनकी शादी, दत्तक ग्रहण, शिक्षा, रोजगार, संपत्ति अधिकार एवं स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच होनी चाहिए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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मुंबई: भारत में मनोचिकित्सकों की शीर्ष संस्था ने कहा है कि एलजीबीटीएक्यूए समुदाय के सदस्यों के साथ देश के अन्य नागरिकों की तरह सुलूक किया जाना चाहिए तथा उनकी शादी, दत्तक ग्रहण, शिक्षा, रोजगार, संपत्ति अधिकार एवं स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच होनी चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ‘इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी’ (आईपीएस) ने तीन अप्रैल को एक बयान में कहा था कि ऐसा संकेत करने वाला कोई सबूत नहीं है कि ‘लेज़्बीअन, गे, बाइसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, एसेक्शुअल‘ (एलजीबीटीक्यूए) लोग शादी, दत्तक ग्रहण, शिक्षा, रोजगार, संपत्ति अधिकार एवं स्वास्थ्य देखभाल में हिस्सा नहीं ले सकते हैं और इस बाबत किया जाने वाला भेदभाव मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। इस संस्था का मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में है।

बयान में कहा गया है कि आईपीएस ने 2018 में भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिकता और एलजीबीटीक्यूए वर्ग को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का समर्थन किया था और कहा था कि यह सामान्य है और कोई बीमारी नहीं है।










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