जानें क्या है उम्र बढ़ने की पूरी प्रक्रिया, क्या ये सभी लोगों में समान है, पढ़ें ये शोध रिपोर्ट
आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होंगे, जो अपनी वास्तविक उम्र से छोटा दिखाई देता होगा। इसी तरह आप ऐसे लोगों के भी संपर्क में आए होंगे, जो अपनी उम्र से काफी बड़े नजर आते हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
एन आर्बर (अमेरिका): आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होंगे, जो अपनी वास्तविक उम्र से छोटा दिखाई देता होगा। इसी तरह आप ऐसे लोगों के भी संपर्क में आए होंगे, जो अपनी उम्र से काफी बड़े नजर आते हैं। क्या कारण है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया हर व्यक्ति में समान नहीं होती?
मैंने अपने पूरे करियर में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया (एजिंग) पर अध्ययन किया है। मैं मिशिगन विश्वविद्यालय में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से संबंधित कोशिकीय एवं आणविक विज्ञान का प्रोफेसर हूं।
उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से जुड़े अनुसंधान में ऐसा समाधान नहीं तलाशा जाता, जो ढलती उम्र में आपको होने वाली हर बीमारी से निजात दिला सके। बल्कि, पिछले एक या दो दशक में हुए शोध इस ओर इशारा करते हैं कि ‘एजिंग’ एक बहुकारकीय प्रक्रिया है और इसे महज एक उपाय से नहीं रोका जा सकता।
‘एजिंग’ क्या है?
-एजिंग की अलग-अलग परिभाषाएं हैं, लेकन वैज्ञानिक आमतौर पर कुछ समान कारकों पर सहमत होते हैं : उम्र बढ़ने की प्रक्रिया समय पर निर्भर करती है, जो व्यक्ति को बीमारियों, चोट और मौत के खतरे के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक-जब अपका शरीर खुद नयी तरह की समस्याएं पैदा करने लगता है और बाह्य-जब पर्यावरणीय कारणों से आपकी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, दोनों ही कारणों से होती है।
आपका शरीर खरबों कोशिकाओं से बना है और प्रत्येक कोशिका न केवल उस ऊतक के लिए एक या अधिक कार्यों को पूरा के लिए जिम्मेदार होती है, जिसमें वह रहती है, बल्कि उसे खुद को जीवित रखने के लिए जरूरी सभी कार्य भी करने होते हैं। इन कार्यों में पोषक तत्वों को पचाना, अवशेष बाहर निकालना, अन्य कोशिकाओं के साथ संदेशों का आदान-प्रदान करना और तनाव से निपटना शामिल है।
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समस्या की बात यह है कि आपकी हर कोशिका के सभी घटकों और प्रक्रियाओं को बाधित या क्षतिग्रस्त किया जा सकता है। तो इस प्रकार आपकी कोशिकाएं इस समस्या को रोकने, पहचानने और निदान करने में रोजाना काफी ऊर्जा खर्च करती हैं।
दशकों के शोध से यह बात सामने आई है कि तकरीबन प्रत्येक कोशिकीय प्रक्रिया उम्र बढ़ने के साथ और कमजोर होती जाती है।
डीएनए की मरम्मत और प्रोटीन का पुनर्चक्रण
-कोशिकाओं के बूढ़े होने की प्रक्रिया से जुड़े लगभग सभी शोध में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि उम्र बढ़ने के साथ डीनएए और प्रोटीन की संरचना में कैसे बदलाव आता है।
अपने डीएनए को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखना कोशिकाओं के मुख्य काम में से एक है। डीएनए के रखरखाव में आनुवंशिक सामग्री और उससे जुड़े अणुओं को नुकसान से बचाना और उसकी सटीक मरम्मत करना शामिल है।
प्रोटीन कोशिकाओं के इशारे पर काम करते हैं। वे रासायनिक अभिक्रिया को अंजाम देते हैं, संरचनात्मक सहायता प्रदान करते हैं, संदेश भेजते और प्राप्त करते हैं तथा ऊर्जा को रोकते एवं खर्च करते हैं। यदि प्रोटीन क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो कोशिका विशेष प्रोटीन से युक्त तंत्र का इस्तेमाल करती है, जो या तो टूटे हुए प्रोटीन को ठीक करने का प्रयास करता है या फिर इसे पुनर्चक्रण के लिए भेजता है।
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‘एजिंग’ रोधी व्यवधान
-जीवन की कोशिकीय प्रक्रियाओं की परस्पर निर्भरता दोधारी तलवार की तरह है: यदि एक प्रक्रिया क्षतिग्रस्त होती है, तो इसके संपर्क में आने वाली और इस पर निर्भर रहने वाली विभिन्न प्रक्रियाएं भी दुर्बल हो जाती हैं। हालांकि, इसका एक पहलू यह भी है कि अगर किसी परस्पर निर्भर प्रक्रिया को सशक्त किया जाए, तो उससे जुड़ी अन्य प्रक्रियाओं में भी सुधार लाया जा सकता है।
उम्र को बढ़ने से रोकने का कोई रामबाण उपाय नहीं है, लेकिन प्रयोगशाला में किए गए कुछ हस्तक्षेपों से देखा गया है कि उम्र बढ़ने की गति को धीमा जरूर किया जा सकता है। लोगों में इस तरह के हस्तक्षेपों का असर आंकने के लिए क्लीनिकल परीक्षण किए जा रहे हैं, जबकि मौजूदा समय में उपलब्ध अधिकतर आंकड़े मक्खियों, चूहों और अन्य जीवों पर की गई आजमाइश से संबंधित हैं।
एक अध्ययन के मुताबिक, कैलोरी की मात्रा में कमी लाना उम्र ढलने की प्रक्रिया को धीमा करने की दिशा में बेहद कारगर हस्तक्षेप साबित हो सकता है। इस अध्ययन में देखा गया है कि एक पशु द्वारा आमतौर पर ली जाने वाली कैलोरी में इस तरह से कमी लाए जाए कि उसे जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें, तो उसमें उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में सफलता हासिल हो सकती है।