धर्मांतरण कराने के मामले में बिशप और नन की अग्रिम जमानत को लेकर जानिये ये अपडेट
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक बाल गृह में बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के प्रयास के आरोपी जबलपुर डायोसिस के एक कैथोलिक बिशप और एक नन को अग्रिम जमानत दे दी है। इन दोनों के खिलाफ राज्य के कटनी जिले में उनके द्वारा संचालित एक बाल गृह में बच्चों का धर्मांतरण कराने का आरोप है।
जबलपुर: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक बाल गृह में बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के प्रयास के आरोपी जबलपुर डायोसिस के एक कैथोलिक बिशप और एक नन को अग्रिम जमानत दे दी है। इन दोनों के खिलाफ राज्य के कटनी जिले में उनके द्वारा संचालित एक बाल गृह में बच्चों का धर्मांतरण कराने का आरोप है।
न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकल पीठ ने बुधवार को बिशप जेराल्ड अल्मीडा और नन लीजी जोसेफ की अग्रिम जमानत याचिकाओं को मंजूरी दे दी।
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अदालत ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी कि उनके खिलाफ शिकायत किसी पीड़ित व्यक्ति या जिसके खिलाफ धर्म परिवर्तन का प्रयास किया गया था, उनके रिश्तेदारों द्वारा दर्ज नहीं की गई थी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर बिशप और नन के खिलाफ इस साल 30 मई को कटनी जिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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कानूनगो ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि बिशप और नन ने कटनी रेलवे स्टेशन पर आशा किरण बाल गृह में बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की कोशिश की और जानबूझकर उनकी उपेक्षा की। इसके बाद इन दोनों के खिलाफ मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 की धारा 3 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।