ईसी के पद पर अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर जानिये ये बड़ा अपडेट

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय की, न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अगुवाई वाली पीठ ने निर्वाचन आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को सोमवार को अलग कर लिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ
न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की, न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अगुवाई वाली पीठ ने निर्वाचन आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को सोमवार को अलग कर लिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा ‘‘मामले को अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।’’

स्वयं को सुनवाई से अलग करने से पहले उच्चतम न्यायालय की पीठ ने निर्वाचन आयुक्त के रूप में गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठन ‘‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’’ से पूछा कि इस नियुक्ति में किन नियमों का उल्लंघन किया गया है।

पीठ ने कहा कि संवैधानिक पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति के बाद यह धारणा नहीं बनाई जा सकती कि वह गलत या मनमानी करेगा या फिर हां में हां मिलाएगा।

पीठ ने कहा कि याचिका शीर्ष अदालत के दो मार्च के उस फैसले पर आधारित है जिसमें कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति ‘‘चुनाव की शुद्धता’’ बनाए रखने के लिए एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश होंगे।

लंबे फैसले में, पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि नौकरशाह गोयल को अगर चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव के बारे में पता नहीं था तो उन्होंने पिछले साल 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कैसे किया।

सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया दुर्भावनापूर्ण और मनमानी थी और देश भर में 160 अधिकारियों के पूल में से चार अधिकारियों का चयन किया गया था। भूषण के अनुसार, 160 अधिकारियों में से कई तो गोयल से छोटे थे।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।










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