केरल हाई कोर्ट ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुधाकरन को अपराध शाखा के सामने पेश होने को कहा

डीएन ब्यूरो

केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन को निर्देश दिया कि वह प्राचीन वस्तुओं के कारोबारी मोन्सन मावुंकल से जुड़े धोखाधड़ी के एक मामले में 23 जून को अपराध शाखा के सामने पेश हों। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केरल उच्च न्यायालय
केरल उच्च न्यायालय


कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन को निर्देश दिया कि वह प्राचीन वस्तुओं के कारोबारी मोन्सन मावुंकल से जुड़े धोखाधड़ी के एक मामले में 23 जून को अपराध शाखा के सामने पेश हों।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति जियाद रहमान एए ने कहा कि अगर सुधाकरन को गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें 50,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की दो प्रतिभूतियों (जमानत) को जमा करने पर जमानत पर रिहा किया जाए।

अदालत ने कहा, ‘‘यह आदेश दो सप्ताह के लिए प्रभाव में रहेगा।’’

उसने सुधाकरन को जांच में सहयोग करने और मामले में गवाहों को धमकाने या प्रभावित करने की कोशिश नहीं करने का निर्देश दिया।

सुधाकरन की अग्रिम जमानत याचिका पर यह आदेश आया है जिन्हें हाल में मामले की जांच कर रही अपराध शाखा के सामने पेश होने को कहा गया था।

सुधाकरन ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा कि वह निजी रूप से पेश होने के लिए पहले दी गयी 14 जून की तारीख पर एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हो सके थे, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किये जाने की आशंका है।

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने अपनी याचिका में कहा कि उस दिन उनकी पूर्व निर्धारित बैठकें थीं और इसलिए उन्होंने निजी रूप से पेश होने के लिए किसी और तारीख का अनुरोध किया था।

सुधाकरन ने वकील मैथ्यू ए कुझलनंदन के माध्यम से दायर याचिका में दलील दी है कि यह मामला सितंबर 2021 में दर्ज हुआ था और प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं थे।

याचिका में कहा गया, ‘‘मामला दर्ज होने के 19 महीने से अधिक समय बाद इस संदेह के आधार पर याचिकाकर्ता (सुधाकरन) के निजी तौर पर पेश होने की मांग की गयी है कि वह कथित रूप से अपराध में शामिल थे।’’

कांग्रेस सांसद ने अपनी याचिका में दावा किया कि प्रथम दृष्टया उन्हें अपराध शाखा के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का नोटिस ‘‘बाहरी कारणों और राजनीतिक मजबूरी के लिए’’ जारी किया गया प्रतीत होता है जिसके बारे में पुलिस अधिकारियों को अच्छी तरह पता होगा।

याचिका में लगाये गये आरोपों और दावों को राज्य ने बुधवार को मामले की संक्षिप्त सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया।

राज्य की ओर से अभियोजन महानिदेशक ने अदालत में कहा कि जांच निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से की जा रही है।

उन्होंने दलील दी कि सुधाकरन के खिलाफ साक्ष्य होने के बावजूद उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और केवल दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत उनके निजी रूप से पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया।

वरिष्ठ अधिकारी ने अदालत से अनुरोध किया कि सुधाकरन को मामले में जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया जाए।

सुधाकरन के वकील ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल 23 जून को अदालत में पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।










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