करवा चौथ आज, जानें कब शुरू हुई इसको मनाने की परंपरा
आज सुहागिनों का त्योहार करवा चौथ का व्रत है। करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़ें करवा चौथ का महत्व और कब शुरू हुई इसको मनाने की परंपरा....
नई दिल्ली: करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सभी व्रतों में बेहद खास है। इस दिन महिलाएं दिन भर भूखी-प्यासी रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और शाम को महिलाएं सज संवरकर व्रत खोलने के बाद अन्न जल ग्रहण करती हैं। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
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जानें करवा चौथ का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। बता दें कि सरगी में मिठाई, फल और मेवे होते हैं, जो उनकी सास उन्हें देती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को छलनी से चांद और पति को देखकर उनका आरती करती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत खोलते हैं।
करना चौथ से जुड़ी मान्याता
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करवा चौथ के व्रत का महत्व और मान्यताएं
करवा चौथ के व्रत के पीछे कई मान्यताएं हैं। एक आख्यान के मुताबिक माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत करवा नाम की धोबिन के नाम पर पड़ा है। करवा इतनी बहादुर महिला थी कि उसने मगरमच्छ के मुंह से अपने पति की जान बचाई। उससे खुश होकर यमराज ने करवा को उसके पति की दीर्घायु होने का वरदान दिया। इसके साथ यह भी कहा कि जो स्त्री करवा चौथ का व्रत रखेगी, उसको सौभाग्यवती होने का वरदान मिलेगा।
एक अन्य कहानी के मुताबिक यह पर्व महाभारत से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पांडव पुत्र अर्जुन के लिए नीलगिरी पर्वत पर जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई तरह की मुसीबतें आने लगती हैं। परेशान होकर द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। भगवान श्रीकृष्ण द्रौपदी को कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत कर सभी संकटों से मुक्ति का उपाय बताते हैं। इस व्रत को पूरे विधि-विधान से पूर्ण कर द्रौपदी को सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है। इसी कथा के आधार पर करवाचौथ का व्रत मनाया जाता है।