

उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली की एक अदालत ने एक जांच अधिकारी (आईओ) के आचरण की निंदा करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी अदालत के साथ लुका-छिपी का खेल, खेल रहा था और इसे गुमराह करने की कोशिश कर रहा था।
नई दिल्ली: उत्तरपूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रही दिल्ली की एक अदालत ने एक जांच अधिकारी (आईओ) के आचरण की निंदा करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी अदालत के साथ लुका-छिपी का खेल, खेल रहा था और इसे गुमराह करने की कोशिश कर रहा था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने तीन आरोपियों के खिलाफ दयालपुर पुलिस थाने द्वारा दर्ज एक मामले में आरोपों पर दलीलें सुनते हुए पाया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के अलावा यह मामला चार शिकायतों से संबंधित है।
न्यायाधीश ने कहा कि फारूक अहमद की एक शिकायत में 25 और 26 फरवरी की दरमियानी रात को दो अलग-अलग कथित घटनाओं का उल्लेख है, जबकि प्राथमिकी 25 फरवरी को सुबह करीब 9.50 बजे मुख्य वजीराबाद रोड पर विक्टोरिया पब्लिक स्कूल के सामने एक दंगे की घटना से संबंधित थी।
न्यायाधीश ने एक आदेश में कहा, 'कई घटनाओं को एक ही चार्जशीट में मिलाने के कारण अदालत द्वारा बार-बार विचार-विमर्श करना पड़ रहा है, ताकि कानून के मापदंडों के भीतर यह तय करने के लिए एक स्पष्ट तस्वीर तैयार हो सके कि किन आरोपों पर आरोप तय किए जाने हैं।'
न्यायाधीश ने अदालत के समक्ष आईओ के पहले के बयान को संज्ञान में लिया, जिसके अनुसार अहमद की शिकायत से संबंधित कथित घटनाओं की अलग से जांच की जाएगी और इस संबंध में एक अलग रिपोर्ट दायर की जाएगी।
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