Indira Gandhi: जब पाकिस्तान के सीने को चीर कर इंदिरा गांधी ने बनाया था बांग्लादेश, तब पूरी दुनिया ने माना था लोहा

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आयरन लेडी के नम से जाना जाता है। इसकी वजह से उनके द्वारा लिए गए वो निर्णय जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। उन्हीं निर्णयों में से एक निर्णय है साल 1971 का वो दिन जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान से बांग्लादेश को बनाया था। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 31 October 2021, 1:59 PM IST
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नई दिल्लीः 1971 का साल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इतिहास में काफी अहमयित रखता है। इसी साल दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। 1971 के उस इतिहास बदलने वाले युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर, 1971 को हुई थी।

मार्च 1971 में पाकिस्तानी सेना ने क्रूरतापूर्वक अभियान शुरू किया। पूर्वी बंगाल में बड़े पैमाने पर अत्याचार किए गए। पाकिस्तानी संसद मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी और टॉर्चर से बचने के लिए बड़ी संख्या में अवामी लीग के सदस्य भागकर भारत आ गए। शुरू में पाकिस्तानी सेना की चार इन्फैंट्री ब्रिगेड अभियान में शामिल थी लेकिन बाद में उसकी संख्या बढ़ती चली गई। भारत में शरणार्थी संकट बढ़ने लगा। एक साल से भी कम समय के अंदर बांग्लादेश से करीब 1 करोड़ शरणार्थियों ने भागकर भारत के पश्चिम बंगाल में शरण ली। इससे भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया।

भारत के बार-बार चेतावनी देने के बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था। वो किसी ना किसी बहाने से चीन और अमेरिका की ताकत पर फूलते हुए भारत को धमकियां दे रहा था। 25 अप्रैल 1971 को तो इंदिरा ने थलसेनाध्यक्ष से यहां तक कह दिया था कि अगर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए जंग करनी पड़े तो करें, उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है।

1971 के नवंबर महीने में पाकिस्तानी हेलिकॉप्टर भारतीय सेना में बार-बार दाखिल हो रहे थे जिसके बाद पाकिस्तान को इस पर रोक लगाने की चेतावनी भी दी गई, लेकिन उल्टा तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति याहया खान ने भारत को ही 10 दिन के अंदर जंग की धमकी दे डाली। पाकिस्तान इस बात से उस वक्त तक अंजान था कि भारत अपनी तैयारी पहले ही कर चुका था।

3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की वायु सेना ने भारत पर हमला कर दिया। भारत के अमृतसर और आगरा समेत कई शहरों को निशाना बनाया। इसके साथ ही 1971 के भारत-पाक युद्ध की शुरुआत हो गई। 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के जन्म के साथ युद्ध का समापन हुआ।