भारत संभवत: अगले साल भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहेगा : एसोचैम

मजबूत उपभोक्ता मांग के दम पर भारत 2024 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रह सकता है। इससे निर्माण, आतिथ्य, रेलवे तथा विमानन सहित बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में निवेश में बढ़ोतरी होगी। उद्योग मंडल एसोचैम ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार रखा है। सरकारी खर्च तथा विनिर्माण से मिले प्रोत्साहन के दम पर चालू वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर उम्मीद से कहीं अधिक 7.6 प्रतिशत रही है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 28 December 2023, 5:42 PM IST
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नयी दिल्ली : मजबूत उपभोक्ता मांग के दम पर भारत 2024 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रह सकता है।

 डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक इससे निर्माण, आतिथ्य, रेलवे तथा विमानन सहित बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में निवेश में बढ़ोतरी होगी। उद्योग मंडल एसोचैम ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार रखा है। सरकारी खर्च तथा विनिर्माण से मिले प्रोत्साहन के दम पर चालू वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर उम्मीद से कहीं अधिक 7.6 प्रतिशत रही है।

जीडीपी में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि ज्यादातर अनुमानों से कहीं अधिक है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान तिमाही में वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत थी।

भारत की जीडीपी वृद्धि ने जुलाई-सितंबर में चीन की 4.9 प्रतिशत की वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है। वहीं पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाएं उच्च ब्याज दर और ऊर्जा कीमतों का दबाव झेल रही हैं।

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ‘‘ समग्र अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत की वृद्धि के रुझान के साथ भारत की वृहद तस्वीर काफी मजबूत दिखती है...’’

उद्योग निकाय के अनुसार, वित्तीय, निर्माण, होटल, विमानन, मोटर वाहन और इलेक्ट्रॉनिक जैसे अन्य विनिर्माण क्षेत्रों का नेतृत्व करने वाला भारतीय उद्योग जगत आने वाले वर्ष में और बेहतर प्रदर्शन करने की स्थिति में हैं।

कच्चे तेल की कम कीमतों, कच्चे माल की लागत पर बड़े सकारात्मक प्रभाव के साथ मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने से इसको मदद मिल रही है।

एसोचैम ने कहा, ‘‘ निर्माण जैसे क्षेत्रों से संबंधित कई उद्योगों ने भी गति पकड़ी है। इनमें इस्पात, सीमेंट, खनन, बिजली उत्पादन और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं शामिल हैं।’’

 

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