I.N.D.I.A Meeting: मिलकर लोकसभा चुनाव 2024 लडेंगे, मुंबई से विपक्षी दलों ने किया ऐलान
विपक्ष के कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने शुक्रवार को एक राष्ट्र, एक चुनाव की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के कदम की आलोचना की और आरोप लगाया कि यह देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा पैदा करेगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: विपक्ष के कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने शुक्रवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित करने के सरकार के कदम की आलोचना की और आरोप लगाया कि यह देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा पैदा करेगा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा भारत के लोकतंत्र की जननी होने की बात करते हैं और फिर सरकार अन्य राजनीतिक दलों से चर्चा किए बिना एकतरफा फैसला कैसे ले सकती है।
आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यह ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत विपक्षी दलों की एकता देखने के बाद सत्तारूढ़ दल में 'घबराहट' को दर्शाता है।
यह भी पढ़ें |
Tamil Nadu: सरकार ने राज्य में आरएसएस के मार्च को अनुमति दिये जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पहले उन्होंने एलपीजी की कीमतें 200 रुपये कम कीं और अब घबराहट इतनी है कि वे संविधान में संशोधन करने के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें एहसास हो गया है कि वे आगामी चुनाव नहीं जीत रहे हैं।’’
प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाया कि सरकार जो करना चाहती है वो संघवाद के लिए खतरा है।
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि देश पहले से ही एक है और कोई भी इस पर सवाल नहीं उठा रहा है।
यह भी पढ़ें |
सरकार हरित ऊर्जा के क्षेत्र में सतत विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध: मोदी
उन्होंने कहा, ‘‘हम निष्पक्ष चुनाव की मांग करते हैं, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की नहीं। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का यह कदम हमारी निष्पक्ष चुनाव की मांग से ध्यान भटकाने के लिए लाया जा रहा है।’’
सरकार ने ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। इससे लोकसभा चुनाव का समय आगे बढ़ने की संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं ताकि इन्हें कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही संपन्न कराया जा सके।
सरकार द्वारा 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद यह कदम सामने आया है। सरकार ने हालांकि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा घोषित नहीं किया है।