यूपी में NEET ने निजी आयुष कॉलेजों की बढ़ाई मुश्किलें.. 80 फीसदी सीटें खाली

उत्तर प्रदेश में BAMS और BAHMS जैसे कोर्सों को संचालित करने वाले निजी कॉलेजों में NEET अनिवार्य होने से छात्रों की 80 फीसदी सीटें खाली जा रही है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें दाखिले को लेकर क्या है निजी कॉलेज संचालकों की मांग

Updated : 31 October 2018, 5:01 PM IST
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लखनऊः आयुष कॉलेजों में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) उत्तीर्ण करने वाले स्टूडेंट्स को ही दाखिला मिल सकता है। इसके लिए नीट परीक्षा में 50% प्राप्तांक की अनिवार्यता भी रखी गई है। इस मामले में निजी कॉलेज संचालकों का कहना है कि नीट परीक्षा की अनिवार्यता होने की वजह से उनके कालेजों को स्टूडेंट्स नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे कॉलेज के स्टाफ समेत दूसरे खर्चों को निकाल पाना भी काफी मुश्किल हो रहा है।       

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क्या कहते हैं SGM माइनॉरिटी एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज गाजीपुर के जनसंपर्क अधिकारी 

एसजीएम माइनॉरिटी एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज गाजीपुर के जनसंपर्क अधिकारी आलोक त्रिवेदी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि पंजाब, बिहार समेत दूसरे कई राज्यों में आयुष पाठ्यक्रम के निजी कॉलेजों में नीट की अनिवार्यता नहीं रखी गई है।  ऐसा ही यूपी में भी होना चाहिए।   

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जिससे निजी आयुष कॉलेज कॉलेजों की सीटें भर सके। वहीं एक-दूसरे शिक्षक अशोक मिश्रा ने बताया कि एक और केंद्र सरकार आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने की बात कह रही है तो वहीं दूसरी ओर बड़ी तादात में स्टूडेंट्स बीएएमएस और बीएचएमएस जैसे पाठ्यक्रम में दाखिला लेना चाहते हैं। बावजूद इसके नीट की अनिवार्यता होने से निजी कॉलेजों को स्टूडेंट्स नहीं मिल पा रहे हैं और स्टूडेंट्स को कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पा रहा है।    

 

 

राजयकीय आयुर्वेदिक कॉलेज लखनऊ के डायरेक्टर एसएन सिंह

 

क्या कहते हैं राजयकीय आयुर्वेदिक कॉलेज लखनऊ के डायरेक्टर एसएन सिंह  

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राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज लखनऊ के डायरेक्टर एसएन सिंह ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जिस तरह की गाइडलाइंस दी गई है। उसी के हिसाब से सरकारी और निजी कॉलेजों में दाखिले लिए जा रहे हैं। अगर बाद में इसमें किसी तरह का कोई परिवर्तन होगा तो उसका फायदा स्टूडेंट्स और निजी कॉलेज संचालकों को जरूर मिलेगा।
 

Published : 
  • 31 October 2018, 5:01 PM IST

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