DN Exclusive: आरटीई के बावजूद भी यूपी में दाखिले के लिए लगाने पड़ रहे स्कूलों के चक्कर

आरटीई के तहत मुफ्त में शिक्षा की चाहत रखने वाले बच्चों के साथ प्रदेश में भारी खिलवाड़ हो रहा है। ऐसे ही एक मामले में गोमती नगर में रहने वाले एक दिव्यांग के बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में इतने चक्कर लगे कि वह परिस्थिति से हार गया। डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 21 September 2018, 7:57 PM IST
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लखनऊः प्रदेश में मुफ्त शिक्षा के नाम पर गरीबों से जिस तरह से खिलवाड़ हो रहा है वह अब किसी से छुपा नहीं है। एक तरफ जहां शिक्षक अपनी नियुक्ति व अधिकारों को लेकर धरना देने को मजबूर है वहीं बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने का सपना देखने वाले आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक भी शिक्षा विभाग के चक्कर काटने को मजबूर है।   

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जब दिव्यांग की टूटी हिम्मत  

फाइल फोटो

एक ऐसे ही मामला गोमती नगर का आया है। यहां रहने वाला राजपाल(30) दिव्यांग है जिस वजह से वह परिवार का जीवन यापन करने के लिए भीख मांगकर गुजारा करता है। राजपाल की चार बहनें हैं जिनमें से बड़ी मुश्किल से दो बहनों का गोमती नगर स्थित स्कूल में दाखिला हो पाया और जिन्हें सरकार की तरफ से मदद मिल रही है और राजपाल की दोनों बहनें इस स्कूल में मुफ्त में शिक्षा हासिल कर रही है।  

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दो बहनों का तो ठीक लेकिन राजपाल के सामने पहाड़ तब टूटा जब उसकी एक और छोटी बहन के लिए उसे बेसिक शिक्षा अधिकारी(बीएसए) कार्यालय के चक्कर काटने पड़े। राजपाल के मुताबिक वह राइट टू एजूकेशन(आरटीई) के तहत अपनी बहन लक्ष्मी के दाखिले के लिए पिछले चार माह से चक्कर काट रहा था।  

फाइल फोटो

बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लगाए 48 बार चक्कर    

इस दौरान वह 48 बार बीएसए कार्यालय के चक्कर काटकर थक चुका था। इतने चक्कर काटकर जब उसे अपनी बहन के दाखिले की उम्मीद टूट गई थी तो तब जाकर वीरवार को गोमतीनगर के भारतीय विद्या भवन में अफसरों की मौजूदगी में उसकी बहन लक्ष्मी का दाखिला हो पाया।  

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इससे अब राजपाल पहले से थोड़ा राहत महूसस कर रहा है। वहीं अब शिक्षा विभाग पर सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर राजपाल को आरटीई के तहत भी दाखिले के लिए इतने चक्कर लगाने पड़े। इसमें किसकी लापरवाही थी स्कूल की या फिर शिक्षा विभाग की।  

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