जाने, भारत रत्न राजीव गांधी के बारे में कुछ अनसुनी बातें, राजनीति में नहीं थी उनकी रुचि
भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सोमवार को 74वीं जयंती है। देश भर में उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस खास मौके पर डाइनामाइट न्यूज़ आपको बता रहा है राजीव गांधी से जुड़ी कुछ खास बातें और देश के लिये उनका अविस्मरीणय योगदान..
नई दिल्ली: बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अगर आज जिंदा होते तो अपना 74वां जन्मदिन मना रहे होते लेकिन समय को शायद यह मंजूर नहीं था। राजीव गांधी के रूप में भारत ने समय से पहले एक ऐसा राजनेता खोया, जिसकी कमी से देश आज भी जूझ रहा है।
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उनके द्वारा किये गये कार्यों के लिये उन्हें आज भी सम्मान के साथ देश की जनता द्वारा याद किया जाता। उन्हें एक जिंदादिल प्रधानमंत्री के रूप में भी जाना जाता है। राजीव गांधी की 74वीं जयंती पर डाइनामाइट न्यूज बता रहा है उनसे जुड़ी कुछ खास और अनसुनी बातें..
राजनीति में आने की मजबूरी
राजीव का जन्म मुंबई में 20 अगस्त, 1944 को हुआ था। भारत जब स्वतंत्र हुआ तो उनकी उम्र महज तीन साल थी। उनके दादा जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी को राजनीति में कोई रुचि नहीं थी, लेकिन 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में उनके छोटे भाई संजय गांधी की मौत के बाद मां इंदिरा गांधी के दबाव में उनको राजनीति में आना पड़ा था।
सबसे युवा प्रधानमंत्री
वर्ष 1981 में राजीव गांधी को भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया था। राजीव 1984 में वह अपनी मां इंदिरा की हत्या के बाद भारत के सातवें और सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे।
शिक्षा-दीक्षा
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राजीव गांधी ने देहरादून के आवासीय दून स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। दून स्कूल के बाद राजीव ने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज में भी पढ़ाई की। उन्होंने वहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।राजीव सन् 1966 में पढ़ाई वापस करके भारत लौटे। उस समय उनकी मां इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थीं। उन्होंने दिल्ली के फ्लाइंग क्लब से पायलट की ट्रेनिंग ली और 1970 में एक पायलट के तौर पर इंडियन एयरलाइन में काम करने लगे।
सोनिया से शादी
राजीव ने 1968 में सोनिया से शादी की। सोनिया के वास्तविक Edvige Antonio Albina Maino था, जिनसे राजीव की मुलाकात लंदन में शादी से काफी पहले हो चुकी थी।
इंदिरा गांधी की हत्या
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी को उनको एक सिख बॉडीगार्ड ने गोली मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गयी। इसके बाद 1984 में कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और कांग्रेस को 533 में से 404 सीटें मिलीं, जो कि इतिहास की सबसे बड़ी जीत मानी गई। इसी जीत के साथ राजीव भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने।
देश के लिये बड़े योगदान
राजीव ने देश में शिक्षा को बढ़ावा देते हुए देश में जवाहर नवोदय स्कूलों की स्थापना की। दूरसंचार, कंप्यूटर क्षेत्र का विस्तार कियाय़ साइंस और टेक्नॉलोजी के लिये सरकारी बजट बढ़ाया।
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बम विस्फोट में मौत
श्रीलंका में आतंकी मामलों को सुलझाने के लिए राजीव ने अहम कदम उठाये थे, जिसके चलते उनके कई दुशमन भी बन गए। 21 मई, 1991 को चेन्नई से 30 किलोमीटर दूर श्रीपेरंबुदूर में राजीव को एक जनसभा के दौरान लिट्टे द्वारा रची साजिश के तहत बम विस्फोट में उनकी मौत हो गयी। यह बम एक महिला द्वारा कपड़ों में छुपाकर लाया गया था, महिला ने जैसे ही राजीव के पैर छुए बम फट गया। इस विस्पोट में राजीव गाँधी समेत 17 अन्य लोगों की मौत हो गयी। भारत ने एक कुशल राजनेता को खो दिया था।
महत्वपूर्ण निर्णय
उनके शासन में ही 18 वर्ष से मताधिकार शुरू किया और पंचायती राज आया। इसके अलावा उन्होंने श्रीलंका में शांति सेना भेजने, असम, मिजोरम एवं पंजाब समझौता कराने, कश्मीर और पंजाब में आतंरिक लड़ाई को रोकने जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये। उन पर बोफोर्स घोटालों का भी आरोप लगा। 1989 में राजीव गांधी को आम चुनावों में हार का सामना करना पड़ा और वे प्रधानमंत्री के पद से हट गये।