पढ़ें.. भारत के इतिहास में विनाशकारी बाढ़ की कहानियां, जब जलप्रलय ने मचाई सबसे बड़ी तबाही

डीएन ब्यूरो

देश का केरल राज्य पिछले सौ सालों में बाढ़ की सबसे बड़ी त्रासदी से जूझ रहा है। अब तक बाढ़ की विभीषिका से वहां 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी, हजारों बेघर हैं। भारत इससे पहले भी कई बार इस तरह की बाढ की आपदा से जूझ चुका है। डाइनामाइट न्यूज की इस खास रिपोर्ट में जानें कब कहां बाढ़ ने इसी तरह तबाही मचाई..

केरल में 100 सालों में अब तक की सबसे बड़ी तबाही
केरल में 100 सालों में अब तक की सबसे बड़ी तबाही


नई दिल्ली: केरल के लोग आजकल बाढ़ की भारी तबाही से जूझ रहे है। राज्य में चारों तरफ पानी ही पानी फैला है। बाढ़ के कहर के कारण अब तक 350 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी जबकि हजारों लोग इस संकट से जूझ रहे है। देश के तमाम राज्य और सक्षम लोग केरल की मदद में जुटे है। संकट की इस घड़ी में पूरा देश केरल को लेकर चिंतित है।

बाढ़ के कहर से केरल में चारों तरफ तबाही का आलम

 

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केरल में छाये बाढ़ के संकट ने देश में अब तक सामने आयी उन बाढ़ की विभीषिकाओं की भी याद दिला दी है, जिसके कारण देश को बारी जान-माल का नुकसान हुआ। इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं पर एक नजर..


केरल बाढ़- 2018 

केरल में भयंकर बारिश के बाद आई बाढ़ ने प्रलय मचा रखा है। वहां का आम जन-जीवन बुरी तरह से प्रबावित हो गया है। हजारों मकान बाढ़ के पानी में समाये हुए हैं। सेना, एनडीआरएफ समेत कई संगठन राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए है। अब तक (रविवार दोपहर) 360 लोगों की मौत के आंकड़े सामने आये है। शनिवार को अकले 35 लोगों की मौत हो गयी थी। केरल ने बीते 100 वर्षों में कभी इस तरह की तबाही नहीं देखी जिस तरह की तबाही वहां इस बार बाढ़ के कारण मची हुई है। कई लोग केरल की बाढ़ की राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

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केरल में राहत और बचाव कार्य जोरों पर


एक सरकारी अनुमान के मुताबिक़ केरल में बाढ़ के कारण क़रीब सवा तीन लाख लोगों को बेघर होना पड़ा है। ये लोग राज्य में बनाये गए 2000 से अधिक अस्थाई राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। 

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कश्मीर बाढ़- 2014

सितंबर 2014 में कश्मीर ने भी बाढ़ के कहर को झेला है। इस बाढ़ के कारण वहां लगभग 500 लोगों की मौत हो गयी थी और हजारों लोग प्रभावित हुए थे। कश्मीर में जल प्रलय के कारण तब वहां के सैकड़ों लोग भोजन और पानी के बिना ही अपने घरों में काफी दिनों तक फंसे रहे। इस बाढ़ के कारण वहां के ढाई हजार से अधिक गांव प्रभावित हुए थे जबकि कश्मीर के 390 गाँव पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे। बाढ़ ने श्रीनगर के कई हिस्सों को भी जलमग्न कर दिया था। 

बाढ़ के कारण लगभग 500 लोगों की हुई थी मौत 

 

बाढ़ के कारण जम्मू-कश्मीर की कई सड़कें और पुल टूट गये थे। राज्य को भारी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा था। इस बाढ़ के कारण राज्य को लगभग करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा। 

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उत्तराखंड की विनाशकारी बाढ़- 2013 

16 जून 2013 का दिन कोई भी देशवासी नहीं भूल सकता है। 15-16 जून की रात देवभूमि उत्तराखंड में स्थित देश के चार धामों में प्रमुख केदारनाथ धाम वाली घाटी में बादल फटने से भारी तबाही मची थी। इसके बाद भूस्खलन, बाढ़ और जलप्रलय ने पूरे उत्तराखंड को घेर लिया था। सड़क और पुल छतिग्रस्त हो गये थे। आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया था। 16 जून की सुबह देश भर में जब यह खबर फैली तो सभी का दिल बैठने लगा, क्योंकि यहां भारी संख्या में तीर्थ यात्री फंस गये थे। कौन, कहां और किस स्थिति में है, किसी को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही था। जब भारतीय सेना वहां पहुंची तो इस भयंकर तबाही के मंजर से धीरे-धीरे पर्दा हटने लगा, जो काफी डरावना था। हजारों लोग काल का ग्रास बन चुके थे, जिनमें कई तीर्थयात्री शामिल थे।

हजारों तीर्थयात्री फंसे थे बाढ़ के कारण


लगातार चार दिन तक राज्य में भूस्खलन, बाढ़ और बारिश का कहर रहा, जिस कारण राहत कार्यों में बाधा पहुंची। बाद में केदारनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द समेत पूरा क्षेत्र मृतक लोगों के शवों को पटा पड़ा था। बाबा केदार की कृपा से मंदिर समेत मंदिर के अंदर रह रहे लोग चमात्कारिक तरीके से बच गये थे।

 

विनाशकारी बाढ़ ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था

इस प्राकृतिक आपदा में हजारों लोग लापता हो गये थे। कुछ लोगों का आज तक बी पता नहीं चल पाया है। इस तबाही में मौतों का आंकड़ा आज तक साफ नहीं हुआ लेकिन फिर भी आपदा में लगभग 5,600 लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया जाता है। 1,00,000 से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ की घाटियों में फँस गये थे। इसे भारत के इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ माना जाता है।

मौतों की सुनामी: 2004

हिंद महासागर में 2004 में एक बड़े भूकंप के बाद विशाल सुनामी ने जबरदस्त तरीके से मौत का तांडव मचाया। सुनामी के कारण दक्षिणी भारत के हिस्सों से लेकर अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक लोग मारे गये। इससे भारत और पड़ोसी देशों में जान-माल का अभूतपूर्व नुकसान सामने आया।

 

भूकंप के कारण आई थी सुनामी

यह सुनामी भारत समेत पड़ोसी देशों में चारों तरफ मौत का मंजर अपने पीछे छोड़ गयी थी। इस सुनामी का जन्म एक भूकंप से हुआ, जो हिंद महासागर के केंद्र में आया, इस भूकंप की तीव्रता 9.1 और 9.3 के बीच मापी गयी थी। यह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है। इसकी विनाशकारी क्षमता 23,000 परमाणु बमों की ऊर्जा के समान आंकी गयी थी। इस तबाही में 2 लाख से अधिक लोग मारे गए और लाखों लोग बुरी तरह प्रभावित हुए। 
 










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