दवाओं, खाद्य उत्पादों पर क्यूआर कोड लगाने को लेकर हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से मंगलवार को उसका रुख पूछा जिसमें दृष्टिबाधित लोगों की सहूलियत के लिए सभी दवाइयों और खाद्य उत्पादों पर क्यूआर कोड लगाने का अनुरोध किया गया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से मंगलवार को उसका रुख पूछा जिसमें दृष्टिबाधित लोगों की सहूलियत के लिए सभी दवाइयों और खाद्य उत्पादों पर क्यूआर कोड लगाने का अनुरोध किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने ‘द कपिला एंड निर्मल हिंगोरानी फाउंडेशन’ के साथ-साथ डॉ स्मृति सिंह और शोभन सिंह की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण और औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड को नोटिस जारी किया। स्मृति सिंह और शोभन सिंह दोनों दृष्टिबाधित हैं।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अमन हिंगोरानी ने कहा कि स्मार्टफोन ‘क्विक रिस्पोंस’ (क्यूआर) कोड को स्कैन कर सकता है और दृष्टिबाधित लोगों की सहूलियत के लिए उत्पाद के बारे में जरूरी जानकारी को बोली प्रारूप में परिवर्तित कर सकता है।

अदालत को पिछले साल सूचित किया गया था कि केंद्र सरकार ने निर्दिष्ट औषधीय उत्पादों पर ‘बार कोड’ या ‘क्यूआर’ लगाना अनिवार्य कर दिया था जिसमें उत्पाद को लेकर जानकारी हो।

वकील श्वेता हिंगोरानी के जरिए दायर यायिका में कहा गया है कि क्यूआर कोड लगाने से दृष्टिबाधित लोगों की मेडिकल देखभाल की प्रभाव क्षमता में बढ़ोतरी होगी और यह दवाई संबंधी गलतियों, गलत खुराक के सेवन को कम करने के साथ-साथ नकली और घटिया दवाइयों के खतरे से निपटेगा।

याचिका में कहा गया है कि दवाइयों, खाद्य, श्रृंगार-प्रसाधन और अन्य उत्पादों तक प्रभावी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उनपर उचित तरीके से क्यूआर कोड लगाना जरूरी हो गया है।










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