यूपी में बेघर बुजुर्गों को आश्रय देने के लिए सरकार ने शुरू की ये खास योजना, यहां करें फोन

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश सरकार ने वृद्धाश्रम में आश्रय हासिल करने में बेघर बुजुर्गों की मदद के लिए ‘एल्डर लाइन’ सेवा 14567 शुरू की है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उत्तर प्रदेश समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण


लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने वृद्धाश्रम में आश्रय हासिल करने में बेघर बुजुर्गों की मदद के लिए ‘एल्डर लाइन’ सेवा 14567 शुरू की है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यह पहल समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण द्वारा शुरू की गई है, जो अतीत में उत्तर प्रदेश पुलिस की आपातकालीन सेवा 112 के अपर पुलिस महानिदेशक रह चुके हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में कन्नौज सदर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले असीम अरुण ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि ‘एल्डर लाइन’ सेवा इस सप्ताह की शुरुआत में शुरू की गई और इसका मकसद बेघर बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में स्थानांतरित करना है।

उन्होंने कहा, “अगर आपको सड़क किनारे, बस अड्डों, रेलवे स्टेशन या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे बेघर और बेसहारा बुजुर्ग दिखाई देते हैं, जिन्हें वृद्धाश्रम में होना चाहिए, तो आप उनका विवरण ‘एल्डर लाइन’ सेवा 14567 पर उपलब्ध करा सकते हैं। समाज कल्याण विभाग की टीम तुरंत उक्त स्थान पर पहुंचेगी और बुजुर्ग व्यक्ति को पूरे सम्मान के साथ वृद्धाश्रम में स्थानांतरित करेगी।”

उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के निदेशक पवन कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मौजूदा समय में राज्य में कुल 75 वृद्धाश्रम (लगभग हर जिले में एक) हैं, जहां 6,053 बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं अपनी जिंदगी का आखिरी पड़ाव पूरे सम्मान के साथ हंसते-खेलते गुजार रहे हैं।

उन्होंने कहा, “वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को भोजन, स्वास्थ्य सुविधाएं और मनोरंजन के साधन मुफ्त में उपलब्ध कराए जाते हैं।”

कुमार के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बरेली के वृद्धाश्रम में सबसे ज्यादा 118 बुजुर्ग रह रहे हैं। वहीं, एटा का वृद्धाश्रम 32 बुजुर्गों के लिए एक सुरक्षित एवं खुशहाल आशियाना साबित हो रहा है।

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कुमार के अनुसार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय का एक डॉक्टर हर 15 दिन पर वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की स्वास्थ्य जांच करता है। उन्होंने बताया कि आपात जरूरतों के लिए हर वृद्धाश्रम को एक एम्बुलेंस से जोड़ा गया है।

कुमार के मुताबिक, “हाल में मेरठ के वृद्धाश्रम से 20 बुजुर्गों का एक समूह अक्षरधाम मंदिर का भ्रमण करने के लिए दिल्ली गया था। समूह के लिए बस का इंतजाम किया गया था और वह मंदिर भ्रमण के बाद पिकनिक मनाने के उपरांत मेरठ लौटा था।”

मंत्री असीम अरुण ने बताया कि राज्य सरकार ने वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों के लिए नाश्ता भत्ता 75 रुपये से बढ़ाकर 114 रुपये प्रति दिन कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, बुजुर्गों को नए कपड़े खरीदने के लिए साल में एक बार 2,500 रुपये, अतिरिक्त दवाओं के लिए प्रति माह 200 रुपये और मनोरंजन के लिए 150 रुपये दिए जाते हैं।

असीम अरुण ने कहा, “इस हफ्ते ‘एल्डर लाइन’ की शुरुआत के बाद से 55 बुजुर्गों को सड़क किनारे, बस अड्डों, रेलवे स्टेशन और अन्य सार्वजनिक स्थलों से लाकर वृद्धाश्रमों में रखा गया है। इनमें से आठ बुजुर्ग मिर्जापुर के, पांच कुशीनगर के और अन्य बाकी जिलों के हैं।”

उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में राज्य में लगभग 56 लाख वरिष्ठ नागरिकों को ‘राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन’ के तहत उनके खातों में सीधे 1,000 रुपये की मासिक पेंशन मिल रही है।

मंत्री ने कहा कि समाज कल्याण विभाग वृद्धाश्रम में रहने वाले 6,000 से अधिक बुजुर्गों को इस योजना से जोड़ने जा रहा है, ताकि उन्हें कुछ अतिरिक्त राशि मिल सके।

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कौशांबी जिला स्थित वृद्धाश्रम के प्रबंधक आलोक राय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमारे वृद्धाश्रम में लगभग 66 बुजुर्ग रह रहे हैं। हम इन बुजुर्गों की सभी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। समाज कल्याण विभाग विभिन्न अदालतों में बुजुर्गों के पारिवारिक विवादों से जुड़े मामलों की पैरवी भी कर रहा है।”

लखनऊ के सरोजिनी नगर इलाके में स्थित वृद्धाश्रम में रहने वाले 67 वर्षीय राजेंद्र प्रसाद कहते हैं, “मैं एक बैंक में क्लर्क की नौकरी करता था। मेरी पत्नी का कुछ साल पहले निधन हो गया था और हमारी कोई संतान भी नहीं थी। इसलिए एक साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद मैं यहां आकर रहने लगा।”

प्रसाद ने बताया कि पिछले एक साल में उन्होंने वृद्धाश्रम में कई दोस्त बनाए हैं, जिनके साथ वह नियमित रूप से योग और भजन-कीर्तन करते हैं।

सत्तर साल के रामरूप और उनकी 66 वर्षीय पत्नी सूरजकली भी अपने बच्चों की शादी के बाद अकेले पड़ने के कारण कौशांबी के वृद्धाश्रम में रहने लगे।

रामरूप ने कहा, “हमारे पांच बेटे और चार बेटियां हैं, सभी की शादी हो चुकी है। मेरे पास खेती के लिए पर्याप्त जमीन नहीं थी, इसलिए हम दोनों यहां आ गए। जब भी बच्चे हमसे मिलना चाहते हैं, यहां आ जाते हैं। वैसे, हम दोनों का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ है।”










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