Govardhan Puja: जानिए गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन प्राकृतिक संसाधनों की पूजा की जाती है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 2 November 2024, 8:18 AM IST
google-preferred

नई दिल्ली: आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसीलिए आज यानी 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व (Festival) मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट (Annakoot) के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का संबंध द्वापर युग से है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण ( Lord Shri Krishna) को समर्पित है। प्रकृति और मानव के बीच संबंध का पर्व है गोवर्धन पूजा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गोवर्धन पूजा विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, गोकुल और बरसाना में मनाई जाती है। गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है लेकिन इस बार अमावस्या तिथि दो दिन होने की वजह से गोवर्धन पूजा 02 नवंबर को है। गोवर्धन पूजा के मौके पर घरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। 

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 
इस वर्ष गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 02 अक्तूबर को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 34 मिनट तक का है। इस शुभ मुहूर्त में गोवर्धन पूजा करना बहुत ही शुभ है। 

गोवर्धन पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन की पूजा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और इसके अलावा धन-धान्य, संतान और सौभाग्य की प्रप्ति होती है। इस दिन जो भी भक्त भगवान गिरिराज की पूजा करता है तो उसके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है और गिरिराज महाराज जो भगवान श्री कृष्ण का ही स्वरूप हैं उनका आशीर्वाद पूरे परिवार पर बना रहता है।

गोवर्धन पूजा को क्यों कहते हैं अन्नकूट 
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने जिस दिन गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुल वासियों की रक्षा की थी, उसे गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए समर्पित कर दिया गया। रक्षा के लिए आभार जताने के लिए हर साल गोकुल वासी गोवर्धन पर्वत को छप्पन भोग लगाकर विधि विधान से पूजा करने लगे। तब से गोवर्धन पूजा के लिए अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है।

अन्नकूट को "भोजन का पहाड़" कह सकते हैं। इसमें कई सारी सब्जियों को मिलाकर मिक्स सब्जी, कढ़ी चावल, पूड़ी, रोटी, खिचड़ी, बाजरे का हलवा आदि बनाकर अर्पित किया जाता है।

गोवर्धन पूजा कथा
गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण, गाय, गोवर्धन पर्वत और इंद्रदेव की पूजा इसलिए होती है क्योंकि अभिमान चूर होने के बाद इन्द्र ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और आशीर्वाद स्वरूप गोवर्धन पूजा में इन्द्र की पूजा को भी मान्यता दे दी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में इंद्र ने कुपित होकर जब मूसलाधार बारिश की तो श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों व गायों की रक्षार्थ और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत,छोटी अंगुली पर उठा लिया था।

इस तरह से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुरक्षित रहे। तब श्रीकृष्ण को अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की। 

गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा पर गाय, भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। इसके बाद अपने परिवार सहित श्रीकृष्ण स्वरुप गोवर्धन की सात प्रदक्षिणा करें। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से एवं गायों को गुड़ व चावल खिलाने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है। 

अगर आप युवा है और नौकरी की तलाश कर रहे हैं तो आप हमारी 'युवा डाइनामाइट' को विजिट कर सकते हैं। 
https://www.yuvadynamite.com/

Published : 
  • 2 November 2024, 8:18 AM IST

Related News

No related posts found.