Nirav Modi: भारत से भगोड़े नीरव मोदी जानिये कैसे पहुंचे लंदन की सबसे बड़ी भीड़भाड़ वाली जेल में, पढ़ें पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

भारत में वांछित और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को ब्रिटेन की सबसे बड़ी और सबसे भीड़भाड़ वाली जेलों में से एक से लंदन में एक निजी तौर पर संचालित जेल में स्थानांतरित किया गया है। नीरव भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन के मामलों में वांछित है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

नीरव मोदी (फाइल फोटो)
नीरव मोदी (फाइल फोटो)


लंदन: भारत में वांछित और भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को ब्रिटेन की सबसे बड़ी और सबसे भीड़भाड़ वाली जेलों में से एक से लंदन में एक निजी तौर पर संचालित जेल में स्थानांतरित किया गया है। नीरव भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन के मामलों में वांछित है। बृहस्पतिवार को यह जानकारी मिली।

नीरव (52) को असफल प्रत्यर्पण अपील कार्यवाही के संबंध में लंदन में उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए 150,247.00 पाउंड के जुर्माने के संबंध में मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई के लिए पेश होना था।

हालांकि, मामले को अंतिम क्षण में नवंबर तक के लिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि पूर्वी लंदन में बार्किंगसाइड मजिस्ट्रेट अदालत में नीरव को तकनीकी कारणों से वीडियो लिंक से पेश नहीं किया जा सका।

अदालत के एक अधिकारी ने कहा, “उसे आंतरिक स्थानांतरण के तहत एचएमपी (हिज मैजेस्टी प्रिजज) वैंड्सवर्थ से एचएमपी टेम्ससाइड में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके बारे में अदालत को आज तक जानकारी नहीं थी।’’

दरअसल, वैंड्सवर्थ जेल से एक संदिग्ध आतंकवादी फरार हो गया था जिसके बाद उसकी तलाशी के लिए अभियान शुरू किया गया था। इस घटना के बाद नीरव को स्थानांतरित करने की सूचना मिली है।

डेनियल खलीफ को बाद में पकड़ कर जेल में बंद कर दिया गया है। ब्रिटेन के न्याय मंत्री एलेक्स चैक ने इस महीने के शुरू में मीडिया से कहा था कि सुरक्षा में चूक के बाद जेल से 40 कैदियों को स्थानांतरित किया गया।

अब प्रतीत होता है कि नीरव भी उन 40 कैदियों में था और दक्षिण पश्चिम लंदन में उसे अब टेम्ससाइड जेल में रखा गया है और इस जेल में भी कथित रूप में अधिक संख्या में कैदी बंद हैं। हालांकि, जेल में सुरक्षा का स्तर पहले वाला ही रहेगा।

नीरव (52) अनुमानित तौर पर दो अरब अमेरिकी डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाला मामले में भारत में प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटेन की उच्चतम न्यायालय में अपनी कानूनी लड़ाई पिछले साल हार गया था।










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