मालदीव में भारत विरोधी भावना को विदेशी ताकतें दे रहीं बढ़ावा

डीएन ब्यूरो

मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद के बीच द्वीप देश में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की पूर्व निदेशक सैयद तनवीर नसरीन ने इस बात को रेखांकित किया है कि मौजूदा स्थिति कोई अचानक से पैदा नहीं हुई है, बल्कि यह लंबे समय से चली आ रही भारत विरोधी भावना की अभिव्यक्ति है, जिसे विदेशी ताकतें बढ़ावा देती रही हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

विरोधी भावना को विदेशी ताकतें दे रहीं बढ़ावा
विरोधी भावना को विदेशी ताकतें दे रहीं बढ़ावा


कोलकाता: मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद के बीच द्वीप देश में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की पूर्व निदेशक सैयद तनवीर नसरीन ने इस बात को रेखांकित किया है कि मौजूदा स्थिति कोई अचानक से पैदा नहीं हुई है, बल्कि यह लंबे समय से चली आ रही भारत विरोधी भावना की अभिव्यक्ति है, जिसे विदेशी ताकतें बढ़ावा देती रही हैं।

साल 2019 से 2023 तक मालदीव गणराज्य के माले में भारतीय उच्चायोग में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक के रूप में कार्य करने वाली नसरीन ने भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का मुकाबला करने में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव पर अपने विचार साझा किए।

‘सॉफ्ट पॉवर’ शब्द का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में किया जाता है, जिसके तहत कोई देश परोक्ष रूप से सांस्कृतिक अथवा वैचारिक साधनों के माध्यम से किसी अन्य देश के व्यवहार अथवा हितों को प्रभावित करता है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में मौजूदा कूटनीतिक विवाद को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और ‘मालदीव का बहिष्कार करने’ जैसी प्रतिक्रियावादी भावनाओं के प्रति आगाह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ हो रहा है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं मालदीव के अपदस्थ तीन मंत्रियों की टिप्पणियों (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ) की निंदा करती हूं। लेकिन मैं कहूंगी कि यह अचानक या अकेली घटना नहीं है। भारत विरोधी भावनाओं को पिछले कुछ समय से विदेशी ताकतों के इशारे पर भड़काया जा रहा है।’’

प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के जवाब में, भारत में मालदीव के राजदूत को विदेश मंत्रालय ने तलब किया था। हालांकि, मालदीव सरकार ने स्पष्ट किया कि ये टिप्पणियां उसके आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।

कोविड महामारी के दौरान मालदीव के राजनीतिक परिदृश्य को रेखांकित करते हुए नसरीन ने आक्रामक भारत-विरोधी अभियान पर भी प्रकाश डाला, जिसने बाद में जाकर जोर पकड़ा और इसके मद्देनजर वहां के विपक्षी नेताओं ने न केवल भारतीय सेना को हटाने की मांग की, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दूरी बनाने पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि मालदीव में पिछली एमडीपी सरकार भारत समर्थक थी, लेकिन कोविड काल के दौरान जो विपक्षी राजनीति तेज हुई, वह ‘भारत के खिलाफ’ घूमती रही।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक आक्रामक भारत विरोधी अभियान था। वे न केवल भारतीय सेना को बाहर करना चाहते थे, बल्कि भारत को सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी बाहर करना चाहते थे। इससे पहले माले में, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए पार्कों और सामुदायिक केंद्रों तक हमारी पहुंच बहुत आसान थी, लेकिन मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के माले के मेयर बनने के बाद, यह आसान पहुंच काफी हद तक कम हो गई थी।’’

इस अवधि के दौरान, नसरीन ने चीन-मालदीव मैत्री संघ और पाकिस्तान-मालदीव मैत्री संघ के उद्भव को भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ का मुकाबला करने के लिए तंत्र के रूप में देखा।

हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘मालदीव के साथ सांस्कृतिक संबंधों के मामले में चीन पीछे है’।

नसरीन ने पिछले साल जून की एक घटना को याद किया, जब मालदीव की राजधानी माले में राष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम में भारतीय उच्चायोग द्वारा मालदीव के युवा, खेल और सामुदायिक सशक्तीकरण मंत्रालय के सहयोग से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से संबंधित एक कार्यक्रम को भीड़ ने बाधित किया था।

उन्होंने प्रदर्शनकारियों के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में खुद योग का अभ्यास करने की विडंबना पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘‘उन लोगों ने मामूली सी बात पर हंगामा किया। उनका मानना था कि योग ‘इस्लाम विरोधी’ है। लेकिन विडंबना यह है कि घटना में शामिल लोग विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में खुद ही योग करते थे।’’

वर्द्धमान विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग की प्रमुख नसरीन ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद कहा कि मालदीव के लोग भारत के प्रति मित्रवत हैं और भारतीय संगीत, बॉलीवुड और संस्कृति के बहुत प्रशंसक हैं।

उन्होंने भारत विरोधी अभियानों में भाग लेने वाले लोगों के साथ हुई अपनी बातचीत का खुलासा करते हुए कहा कि उन्हें कपड़े, भोजन और धन देकर ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनमें से एक से बात की, जो भारत विरोधी अभियानों में भाग लेता था। वह कई बार सहयोगी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ‘परफॉर्म’ करता था। उसने मुझे बताया कि भारत विरोधी अभियानों में भाग लेने के लिए उसे कपड़े, भोजन और पैसे मिलते थे, इसलिए शाम को वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ अक्सर अतिरिक्त पैसे के लिए ऐसे अभियानों में भाग लेता था।’’

नसरीन ने तर्क दिया कि यह द्वीपसमूह में ‘भारत विरोधी’ भावनाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से विदेशी धन की आमद’ को दर्शाता है।

मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव और भारत विरोधी विमर्श पर इसके प्रभाव को रेखांकित करते हुए नसरीन ने पड़ोसी देशों में इसी तरह के रुझानों की तुलना की। इसके लिये उन्होंने ‘‘हालिया उदाहरण के तौर पर श्रीलंका’’ का हवाला दिया।

उन्होंने मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के कमजोर होने और भारत समर्थक सबसे मजबूत आवाज मोहम्मद नशीद के राजनीति से हटने को स्थिति को और खराब करने के रूप में रेखांकित किया।

नसरीन ने कहा, ‘‘जब यह भारत विरोधी विमर्श जोर पकड़ रहा था, तब भारत समर्थक सबसे मजबूत आवाज मोहम्मद नशीद को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला।’’

हैशटैग ‘बायकॉट मालदीव’ के साथ सोशल मीडिया अभियान के संबंध में नसरीन ने मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों की निंदा की वकालत की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उन्हें महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इन निलंबित मंत्रियों की टिप्पणियों को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे भारत विरोधी विमर्श के पीछे मौजूद लोगों को राग अलापने का मौका मिल जाएगा।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हैशटैग ‘बायकॉट मालदीव’ के तहत लोगों के मालदीव की यात्रा रद्द करने की खबरों के बावजूद नसरीन ने भारत और मालदीव के बीच परस्पर निर्भरता पर जोर देते हुए धैर्य रखने की अपील की।

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मालदीव कई मायनों में भारत पर निर्भर है। भारत को भी मालदीव की जरूरत है। इसलिए इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए।’’










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