शेखावाटी क्षेत्र के युवाओं में सेना में भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना को लेकर निराशा की भावना

डीएन ब्यूरो

भारतीय सेना में सेवा देने का सपना लेकर तड़के 3.30 बजे उठना और दौड़ लगाना पिछले कुछ वर्षों से दीपक मील की दिनचर्या का हिस्सा रहा है, लेकिन उसमें निराशा की भी भावना है। इसकी वजह सैनिकों की भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

शेखावाटी क्षेत्र के युवाओं में सेना में भर्ती
शेखावाटी क्षेत्र के युवाओं में सेना में भर्ती


झुंझुनूं: भारतीय सेना में सेवा देने का सपना लेकर तड़के 3.30 बजे उठना और दौड़ लगाना पिछले कुछ वर्षों से दीपक मील की दिनचर्या का हिस्सा रहा है, लेकिन उसमें निराशा की भी भावना है। इसकी वजह सैनिकों की भर्ती से जुड़ी अग्निपथ योजना है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मील की तरह ही शेखावाटी क्षेत्र के सैकड़ों युवा सेना में भर्ती होने के लिए हर दिन इसी तरह की दिनचर्या का पालन करते हैं। उन सभी में भी अग्निपथ योजना को लेकर निराशा है।

हालांकि, उम्मीदवार पिछले साल जून में शुरू की गई इस योजना के राजनीतिक निहितार्थों के बारे में मुखर नहीं हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के बीच होने वाली चर्चाओं में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी स्पष्ट रूप से झलकती है। भाजपा 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत के जरिये राज्य की सत्ता वापस हासिल करना चाहती है।

एक तरफ जहां भाजपा नेताओं का दावा है कि अग्निपथ योजना को लेकर कोई नकारात्मक माहौल नहीं है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस का कहना है कि योजना के साथ सब कुछ ठीक नहीं है। पार्टी का दावा है कि कई उम्मीदवार, पूर्व सैनिक और अभी भी सेवारत कर्मी इस योजना से नाखुश हैं।

अग्निपथ योजना सैनिकों को चार साल की सेवा अवधि प्रदान करती है, जिसमें से 25 फीसदी को आगे भी सेवा जारी रखने के लिए चुने जाने का प्रावधान है। यह योजना अधिकारी रैंक से नीचे की भर्ती के लिए है।

'पीटीआई-भाषा' ने कई उम्मीदवारों से बात की, जिन्होंने इस योजना पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वे सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, कुछ तो पांच-छह साल तक ऐसा करते हैं, लेकिन केवल चार साल की सेवा के लिए यह सब करना न्याय नहीं है।

मील ने स्थानीय स्टेडियम में अपने अभ्यास सत्र के दौरान 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम तड़के चार बजे स्टेडियम में दौड़ना शुरू करते हैं, जिसके बाद डेढ़ घंटे तक व्यायाम करते हैं। सरकार से अब क्या उम्मीद की जा सकती है, वह पहले ही अग्निपथ ला चुकी है। हममें से कुछ लोग चार साल या उससे अधिक समय से तैयारी कर रहे हैं, लेकिन केवल चार साल की सेवा अवधि मिलेगी। यह बिल्कुल गलत है।'

एक अन्य अभ्यर्थी, राम सिंह ने कहा कि यह अभ्यर्थियों का 'जज़्बा' है, जो उन्हें सैन्य बलों में भर्ती होने की तैयारी करने और फिट रहने के लिए प्रेरित करता है।

सिंह ने कहा, 'हम दिन-रात पसीना बहा रहे हैं और अपना सब कुछ झोंक दे रहे हैं, लेकिन सरकार अग्निपथ लेकर आई है। उसने कई युवाओं को मजबूर कर दिया है कि वे सशस्त्र बलों में शामिल होने का सपना देखना छोड़ दें।'

सिंह ने कहा कि गांवों में प्रशिक्षण के विकल्प भी बहुत सीमित हो गए हैं, क्योंकि कई कोचिंग अकादमियों ने अपनी इकाइयां बंद कर दी हैं और उन्हें जिला मुख्यालयों में स्थानांतरित कर दिया है।

एक अन्य अभ्यर्थी, विकास ताखर ने कहा, 'हम सेना में भर्ती को नौकरी या सेवा के रूप में नहीं देखते हैं, यह हमारे लिए एक सपने की तरह है। सेना में सेवा करना सम्मान की बात है। हमने शहीदों का इतने सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होते देखा है। पर अब अग्निपथ योजना के साथ चीजें बदल गई हैं।'

ताखर ने कहा, 'जब एक अग्निवीर चार साल की सेवा के बाद घर लौटता है, तो उसे उतना सम्मान नहीं मिलेगा और उसके सामने दूसरी नौकरी तलाशने की चुनौती भी होगी।'

ताखर ने कहा कि झुंझुनूं में लगभग हर घर का संबंध किसी पूर्व सैनिक या सेवारत कर्मी या युद्ध में शहीद होने वाले किसी व्यक्ति से है।

शेखावाटी क्षेत्र में मुख्य रूप से चूरू, सीकर और झुंझुनूं जिले शामिल हैं। यह क्षेत्र अपने लोगों में सैन्य सेवाओं में भर्ती के प्रति जुनून के लिए जाना जाता है। सुबह होते ही खेल के मैदानों, खेतों और सड़कों पर युवाओं का दौड़ना यहां एक आम दृश्य है।

हालांकि, जो क्षेत्र कभी प्रशिक्षण अकादमियों से गुलज़ार था, आज वहां इनमें से कुछ ही बची हैं।

रोज सुबह सैर पर निकलने वाले एक व्यक्ति ने बताया, 'सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या में काफी गिरावट आई है। सरकार ने यह योजना लाकर कोई अच्छा काम नहीं किया है। हमें उम्मीद है कि इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा।'

कांग्रेस की झुंझुनूं इकाई के अध्यक्ष दिनेश सुंडा ने कहा, ''पूरे शेखावाटी क्षेत्र में इस योजना का व्यापक प्रभाव है। पूर्व सैनिक इस योजना के खिलाफ हैं और युवा भी नाखुश हैं। सभी जानते हैं कि इस धोखे के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है और वे चुनाव में भाजपा को करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं।”

सुंडा ने बताया कि अग्निपथ योजना के मुद्दे पर आगामी दिनों में झुंझुनूं में पूर्व सैनिकों की रैली निकाली जाएगी।

वहीं, पिलानी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेंद्र बेनीवाल ने कहा, 'अग्निपथ योजना वास्तव में शेखावाटी में एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है। भाजपा को इस मुद्दे को लेकर नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।'

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी दौसा और झुंझुनूं में अपनी हालिया रैलियों में अग्निपथ योजना के कारण युवाओं में निराशा होने की बात कही थी।

वहीं, भाजपा नेता और सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर ने जोर देकर कहा कि योजना का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है।

नीम का थाना सीट (सीकर) से विधानसभा चुनाव लड़ रहे बाजोर ने कहा, 'अग्निपथ योजना के बारे में बिल्कुल भी नकारात्मकता नहीं है। युवा इससे खुश हैं।'

 










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