Haryana Election: हरियाणा चुनाव के वे 7 बड़े मुद्दे...जो भाजपा के लिए बन सकते हैं सिरदर्द

डीएन संवाददाता

5 अक्टूबर 2024 को हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर चुनाव होने है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रदेश में एकबार फिर कमल खिलाने की बड़ी चुनौती रहेगी। जानें आखिर क्या है वो बड़े मुद्दे, जो मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए खड़ी कर सकते हैं मुसीबतें। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Haryana Assembly Election 2024
Haryana Assembly Election 2024


नई दिल्ली: हरियाणा में 5 अक्टूबर 2024 को विधानसभा की 90 सीटों के लिए वोट (Haryana Assembly Election 2024) डाले जाने है। वहीं, इससे पहले बीजेपी, कांग्रेस और आप (BJP, Congress, AAP) समेत सभी दल जनता के बीच जाकर वोट साधने की तैयारी में जुटे हुए हैं। 

चुनावों के लिये घोषणापत्र

कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) जैसी राष्ट्रीय पार्टियों ने हरियाणा के चुनावों को लेकर अपने घोषणापत्र (Manifesto)में कई बड़े-बड़े वादें किए हैं। प्रदेश में फिलहाल नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) वाली बीजेपी की सरकार है। हालांकि, इस बार भाजपा के लिए राज्य में एकबार फिर कमल खिलाने की बड़ी चुनौती होगी।

 2019 में लोकसभा की सभी 10 सीटों पर जीतने वाली बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, यह दर्शाता है कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए जंग इतनी आसान नहीं होने वाली है। जिसके पीछे इन 7 बड़ी वजहों को होना हैं। 

किसान आंदोलन का प्रभाव
1. किसान आंदोलन का प्रभाव: हरियाणा में किसान आंदोलन (Farmer Protest)का काफी असर रहा है, खासकर पश्चिमी हरियाणा में। ऐसे में कृषि कानूनों के विरोध के चलते किसान समुदाय का भाजपा से मोहभंग हो सकता है, जो मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी  और भाजपा सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है। 

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जाट वोट बैंक
2. जाट वोट बैंक: जाट समुदाय का हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बड़ा अहम रोल रहता है, क्योंकि यह प्रदेश का एक बड़ा वोट बैंक है। दुष्यंत चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda)और सुरेन्द्र सिंह जैसे नेताओं की चुनौतियों के बीच भाजपा को इस समुदाय का समर्थन प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है। 

जाट वोट बैंक

स्थानीय मुद्दे
3. स्थानीय मुद्दे, महंगाई और रोजगार: महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दे हरियाणा के युवाओं के लिए प्राथमिकता हैं। यदि भाजपा इन समस्याओं का समाधान प्रभावी तरीके से नहीं हल करने में सफल नहीं होती, तो यह एक चुनौती साबित हो सकता है।

आंतरिक कलह
4. आंतरिक कलह और गुटबाजी: हरियाणा भाजपा में आंतरिक गुटबाजी की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। चुनाव के समय ये मतभेद पार्टी की एकता और प्रभावशाली चुनाव प्रचार में बाधा डाल सकते हैं। इसके साथ ही जननायक जनता पार्टी (JJP)का बीजेपी से अलग होना मौजूदा सरकार के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।

क्षेत्रीय दलों का उभार
5. क्षेत्रीय दलों का उभार: दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala)की जननायक जनता पार्टी (JJP)और अन्य छोटे दल हरियाणा में भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्थानीय मुद्दों पर क्षेत्रीय दलों की पकड़ मजबूत है।

भारतीय पहलवानों की नाराजगी

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6. भारतीय पहलवानों की नाराजगी- ओलंपिक मेडलिस्ट विनेश फोगाट (Vinesh Phogat)और बजरंग पूनिया (Bajrang Punia)जैसे स्टार पहलवानों का बृजभूषण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)के मुद्दे को लेकर बीजेपी से नाराजगी और फिर कांग्रेस का दामन थामना बीजेपी के लिए युवा वोट बैंक को अपनी ओर साधने में बाधा डाल सकता है। 

विरोधी दलों की एकजुटता

7. विरोधी दलों की एकजुटता: अगर कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (Indian National Lok Dal)और अन्य छोटे दल एक साथ आकर गठबंधन बनाते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा कर सकता है।










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