नगा शांति वार्ता पर बने गतिरोध को दूर करने कोशिशे हुई तेज

डीएन ब्यूरो

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने बुधवार को कहा कि नगा समस्या के समाधान के मुद्दे पर सहयोग की नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) और नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) की बिना शर्त प्रतिबद्धता के बाद इस राजनीतिक समस्या के शीघ्र समाधान की “उम्मीद” है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
फाइल फोटो


आंग्लेंडेन: नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने बुधवार को कहा कि नगा समस्या के समाधान के मुद्दे पर सहयोग की नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक मुइवा (एनएससीएन-आईएम) और नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) की बिना शर्त प्रतिबद्धता के बाद इस राजनीतिक समस्या के शीघ्र समाधान की “उम्मीद” है।

रियो ने कहा कि पृथक राज्य की मांग कर रहे संगठन ‘ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन’ (ईएनपीओ) की चिंता विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद दूर की जाएगी।

रियो ने डाइनामाइट न्यूज़ को नगा शांति वार्ता पर गतिरोध को हल करने में हुई प्रगति के बारे में बताया, ‘‘हम इतने वर्षों से इस पर काम कर रहे हैं। रूपरेखा करार पर 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे और फिर, 2017 में सहमत स्थिति पर हस्ताक्षर किए गए।”

दशकों पुरानी समस्या का समाधान खोजने के लिए, केंद्र सरकार 1997 के बाद से एनएससीएन-आईएम के साथ अलग-अलग और एनएनपीजी की कार्यसमिति के साथ 2017 से बातचीत कर रही है। एनएनपीजी की कार्यसमिति में कम से कम सात समूह शामिल हैं।

मोदी सरकार ने 2015 में एनएससीएन के साथ एक रूपरेखा समझौता किया और एनएनपीजी के साथ सहमति के बिंदुओं पर हस्ताक्षर किये गये थे।

हालांकि, अंतिम समाधान अभी तक नहीं हो सका है, क्योंकि एनएससीएन-आईएम नगाओं के लिए पृथक ध्वज और संविधान की मांग पर अड़े हुए हैं।

रियो ने बताया कि विभिन्न समूह ‘एक साथ नहीं आ पा रहे हैं’, जिससे प्रगति बाधित हो रही है, लेकिन 14 जनवरी को हुए समझौते के साथ इसके समाधान के आसार हैं। उन्होंने कहा कि ये समझौते नगाओं के ऐतिहासिक अधिकारों तथा उनकी पहचान के संरक्षण पर आधारित हैं।

एनएससीएन-आईएम और एनएनपीजी ने इस वर्ष 14 जनवरी को नगा समस्या के समाधान को लेकर भारत सरकार के साथ सहयोग करने की बिना शर्त प्रतिबद्धता जताई थी।

ईएनपीओ की मूल मांग को ध्यान में रखकर राज्य के द्विभाजन की संभावना पर ‘भविष्यवाणी या टिप्पणी’ करने से इनकार करते हुए रियो ने कहा, ‘‘वे निश्चित रूप से विकासात्मक गतिविधियों, साक्षरता दर, आर्थिक पिछड़ेपन में कमियों से निपटने के लिए राज्य सरकार से समर्थन के पात्र हैं।’’

वरिष्ठ नगा नेता ने कहा, ‘‘हम उन्हें समान विकास के मामले में राज्य के बाकी हिस्सों के साथ बराबरी पर लाने के लिए पूरा समर्थन देंगे।’’

उन्होंने उल्लेख किया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी ईएनपीओ नेतृत्व के साथ बातचीत कर रहे हैं। रियो ने कहा, “अमित शाह जी ने उन लोगों से बात की थी, स्थिति के बारे में व्याख्या की थी और उन्हें यह भी विकल्प दिया था कि क्या संभव है।’’

उन्होंने चुनावों के बहिष्कार के लिए ईएनपीओ के शुरुआती आह्वान का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘उन आश्वासनों के साथ वे (ईएनपीओ) आश्वस्त थे और उन्होंने चुनाव बहिष्कार का आह्वान भी वापस ले लिया तथा परिणामस्वरूप शांतिपूर्ण चुनाव कराया जा सकेगा।’’

ईएनपीओ छह जिलों- मोन, ट्यूनसंग, लॉन्गलेंग, किफायर, शमातोर और नोकलक को मिलाकर ‘फ्रंटियर नगालैंड’ के लिए पृथक राज्य की मांग कर रहा है। इन जिलों से विधानसभा के लिए 20 विधायकों का रास्ता खुलता है।

साठ-सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा और मतों की गिनती दो मार्च को की जाएगी।










संबंधित समाचार