Earthquake: इन तीन तरंगों के ‘खेल’ से कांपती है धरती, जानिए बार-बार क्यों आते है भूकंप

पिछले दो दिनों से भूकंप ने दुनिया के कई हिस्सों में हड़कंप मचा दिया है। शुक्रवार को म्यांमार में आए भूकंप से करीब एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट में पढ़िए कि आखिर क्यों आता है भूकंप और क्या हैं इसके उपाय

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 29 March 2025, 3:54 PM IST
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नई दिल्ली: अफगानिस्तान में शनिवार सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किये गये। इसके साथ ही म्यांमार में लगातार दूसरे दिन भूकंप से धरती हिली। इससे पहले कल शुक्रवार को म्यांमार में भूकंप के दो तेज झटकों ने कई लोगों को मौत की नींद सुला दिया। भूकंप की इस घटना में लगभग 1000 लोगों की मौत हो गई।

भूकंप से हिले कई देश

शुक्रवार को आया भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसका असर पड़ोसी देशों तक महसूस किया गया। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी लोगों ने झटके महसूस किए और कई इमारतें हिल गईं। चीन और ताइवान के कुछ हिस्सों में भी कंपन दर्ज किया गया। 

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये भूकंप के कारण और इससे संबंधित हर चीज के बारे में

भूकंप का एपिसेंटर

भूकंप का केंद्र (Hypocenter) वह स्थान होता है जहां चट्टानें टूटती हैं, जबकि सतह पर इसका प्रभाव जिस स्थान पर सबसे अधिक पड़ता है। उसे एपिसेंटर (Epicenter) कहा जाता है। एपिसेंटर के पास मौजूद इलाकों में तबाही की संभावना अधिक रहती है।

सात भूखंडों में बंटी धरती

पृथ्वी सात बड़े भूखंडों में बंटी हुई है, जैसे कि भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई, उत्तर अमेरिकी और अफ्रीकी प्लेटें। इनके नीचे मौजूद चट्टानें अत्यधिक दबाव में होती हैं। जब दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है तो ये चट्टानें टूट जाती हैं और संचित ऊर्जा बाहर निकलती है। जिससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

भूकंप के कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, समुद्र और महाद्वीपों की सतह पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेटें निरंतर गति में रहती हैं। जब ये प्लेटें अचानक खिसकती हैं या टकराती हैं तो भूकंप आते हैं। कुछ भूकंप इतने शक्तिशाली होते हैं कि वे बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं जबकि कुछ हल्के झटके होते हैं जिनका ज्यादा असर नहीं पड़ता।

भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल (Richter Scale) का उपयोग किया जाता है। इस पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 1 से 9 तक मापी जाती है। भूकंप के दौरान पृथ्वी के नीचे से ऊर्जा तरंगें निकलती हैं, जिन्हें भूकंपमापी यंत्र (Seismograph) द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि भूकंप की तीव्रता कितनी थी और इसका केंद्र (Epicenter) कहां स्थित था।

क्यों होती है तेज गड़गड़ाहट

भूकंप के दौरान तेज गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देने का मुख्य कारण भूकंपीय तरंगों का धरती के भीतर उत्पन्न होकर सतह तक पहुंचना है। जब कोई भूकंप आता है तो ऊर्जा धरती की सतह से नीचे चट्टानों के टूटने और विस्थापन के कारण मुक्त होती है। इस ऊर्जा के चलते भूकंपीय तरंगें बनती हैं। जो धरती के अंदरूनी हिस्सों से होकर सतह तक पहुंचती हैं। भूकंप के समय उत्पन्न होने वाली यह तरंगें अलग-अलग आवृत्ति की होती हैं।

उच्च आवृत्ति वाली तरंगें जब ठोस चट्टानों से गुजरती हैं तो कंपन के साथ-साथ गड़गड़ाहट जैसी ध्वनि उत्पन्न करती हैं। खासकर यदि भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो यह तरंगें अधिक ऊर्जा के साथ सतह तक पहुंचती हैं, जिससे आवाज तेज सुनाई देती है। यही कारण है कि जब गहराई पर भूकंप आता है तो लोग तेज गड़गड़ाहट महसूस करते हैं।

खतरनाक जोन में भारत का 60 फीसदी हिस्सा 

दिल्ली समेत भारत के कई हिस्से भूकंपीय खतरों की गंभीर श्रेणी में आते हैं। जिससे ये क्षेत्र भूकंप के लिए संवेदनशील बनते हैं। भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप के लिहाज से जोखिम में है, खासकर हिमालयी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके।

सावधानी और सुरक्षा उपाय

    •    भूकंप के दौरान खुले स्थानों पर जाना चाहिए।
    •    इमारतों से बाहर निकलने का सुरक्षित रास्ता अपनाएं।
    •    भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल न करें।
    •    टेबल, मजबूत फर्नीचर या किसी ठोस वस्तु के नीचे छिपकर सिर और गर्दन को बचाएं।
    •    भूकंप के बाद इमारतों की सुरक्षा जांच करवानी चाहिए।