भारत में तेजी से बढ़ रही ऑफिस स्पेस की मांग, अमेरिकी फर्में को छूटी पीछे, पढ़िए ताजा रिपोर्ट
भारतीय कंपनियों ने लीज/पट्टे पर कार्यालय स्थल लेने के मामले में चालू कैलेंडर साल की पहली जनवरी-मार्च की तिमाही में अमेरिकी फर्मों को पीछे छोड़ दिया है। पहली तिमाही में कार्यालय स्थल की कुल मांग में घरेलू कंपनियों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत रही है। संपत्ति सलाहकार सीबीआरई इंडिया ने यह जानकारी दी है।
नयी दिल्ली: भारतीय कंपनियों ने लीज/पट्टे पर कार्यालय स्थल लेने के मामले में चालू कैलेंडर साल की पहली जनवरी-मार्च की तिमाही में अमेरिकी फर्मों को पीछे छोड़ दिया है। पहली तिमाही में कार्यालय स्थल की कुल मांग में घरेलू कंपनियों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत रही है। संपत्ति सलाहकार सीबीआरई इंडिया ने यह जानकारी दी है।
पिछले साल यानी 2022 पहली भारतीय कंपनियों ने पट्टा गतिविधियों में अमेरिकी फर्मों को पीछे छोड़ा था।
सीबीआरई साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड ने बुधवार को अपनी कार्यालय रिपोर्ट के निष्कर्षों को जारी करते हुए कहा कि देश के नौ प्रमुख शहरों में जनवरी-मार्च की अवधि के दौरान कार्यालय स्थल की मांग सालाना आधार पर नौ प्रतिशत बढ़कर 1.26 करोड़ वर्ग फुट हो गई। एक साल पहले इसी अवधि में 1.16 करोड़ वर्ग फुट कार्यालय स्थल पट्टे पर दिया गया था।
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सीबीआरई ने बयान में कहा, ‘‘इससे पिछली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की तरह, घरेलू कंपनियों ने तिमाही पट्टा गतिविधियों के मामले में अमेरिकी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया।’’
देश के नौ प्रमुख शहरों में कार्यालय स्थल की कुल मांग वर्ष 2022 में 40 प्रतिशत बढ़कर 5.66 करोड़ वर्ग फुट रही। 2021 में यह आंकड़ा 4.05 करोड़ वर्ग फुट रहा था। पिछले वर्ष के दौरान कुल पट्टे पर दिये गये कार्यालय स्थल में से 2.78 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र घरेलू कंपनियों ने जबकि 2.04 करोड़ वर्ग फुट अमेरिकी कंपनियों ने लिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में कुल 1.26 करोड़ वर्ग फुट कार्यालय स्थल में बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और चेन्नई की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत रही।’’
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सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) ने कहा, ‘‘मौद्रिक तंगी, मुद्रास्फीति, विकसित देशों में मंदी और भू-राजनीतिक दबाव के चलते 2023 में किराये पर कार्यालय स्थल लेने वालों की विस्तार योजना प्रभावित हो सकती है और साथ ही उनकी निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है।’’
हालांकि, मैगजीन ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के किराये पर कार्यालय लेने के फैसले पर इन स्थितियों के प्रभाव की पहचान अभी तक नहीं की गई है।
उनका अनुमान है ‘‘इस वर्ष की दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में पट्टा गतिविधियों में तेजी आ सकती है क्योंकि भारत उच्च-कुशल प्रतिभा का एक आकर्षक और किफायती स्रोत बना रहेगा।’’