दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- मेरिट सूची नहीं देती नियुक्ति का अधिकार
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि मेधा सूची उम्मीदवारों को नियुक्ति का अधिकार नहीं देती है और यह लागू किए जाने के लिए अनिश्चितकाल तक बरकरार नहीं रह सकती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि मेधा सूची उम्मीदवारों को नियुक्ति का अधिकार नहीं देती है और यह लागू किए जाने के लिए अनिश्चितकाल तक बरकरार नहीं रह सकती है।
अदालत की यह टिप्पणी यहां एक स्कूल में गणित की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) के रूप में नियुक्ति की मांग करने वाली एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए आई। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि 2017 में प्रकाशित मेधा सूची में तीसरे स्थान पर होने के कारण, उसे यह पद दिया जाना चाहिए क्योंकि प्रथम स्थान धारक को अयोग्य घोषित कर दिया गया और दूसरे उम्मीदवार ने नौकरी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने अपने हालिया आदेश में कहा, “यद्यपि ऐसा कोई स्पष्ट नियम या कानून मौजूद नहीं है जो कोई निश्चित समय या अवधि निर्धारित करता हो जिसके लिए मेधा सूची वैध रहती है, मेधा सूची को इतनी लंबी अवधि के लिए विचारार्थ बरकरार नहीं रखा जा सकता है।”
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अदालत ने कहा, “इस अदालत का मानना है कि एक मेधा सूची केवल चयनित उम्मीदवारों को सूचीबद्ध करती है, लेकिन चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं देती है और मेधा सूची लागू किए जाने के लिए अनिश्चितकाल तक बरकरार नहीं रह सकती है।”
याचिकाकर्ता ने 2018 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उसने कहा कि स्कूल में टीजीटी (गणित) का एक पद खाली था और उसे नियुक्ति का अधिकार है।
अदालत ने कहा कि किसी उम्मीदवार का केवल इस आधार पर पद पर निहित अधिकार नहीं है कि उसका नाम मेधा सूची में दर्शाया गया है और इसलिए, नियुक्ति संबंधित प्राधिकार पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह ध्यान में रखते हुए कि टीजीटी (गणित) के पद के लिए मेधा सूची पांच साल से अधिक समय पहले प्रकाशित की गई थी, अदालत ने कहा, “इस अदालत के लिए इतनी ‘विलंबित अवस्था’ में उक्त मेधा सूची की समीक्षा करना बेहद अनुचित होगा।
उसने कहा कि एक उचित अवधि होनी चाहिए, जिस दौरान राहत देने के लिए मेधा सूची पर विचार किया जा सके।
इसके साथ ही अदालत ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया।