चुनाव आयोग ने रद्द की आप के 20 विधायकों की सदस्यता, अब राष्ट्रपति पर नजरें

चुनाव आयोग ने दोहरे लाभ के पद मामले में केजरीवाल सरकार के खिलाफ बड़ा फैसला देते हुए आम आदमा पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 19 January 2018, 2:39 PM IST
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की आयोग्यता मामले में केजरीवाल सरकार को चुनाव आयोग से बड़ा झटका मिला है। चुनाव आयोग ने दोहरे लाभ के पद मामले में केजरीवाल सरकार के खिलाफ फैसला देते हुए आप के 20 विधायकों अयोग्य करार दिया है, हालांकि इस फैसले पर अभी अंतिम मुहर लगनी बाकी है। 

बताया जाता है कि चुनाव आयोग ने इस फैसले पर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति के पास भेज दी है, जहां  इस फैसले पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है। यह केजरीवाल सरकार के लिये बड़ा झटका है। इस मामले की जांच राष्ट्रपति के निर्देश पर ही हो रही थी। चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को 'लाभ का पद' मामले में कारण बताओ नोटिस किया था। इस मामले में पहले 21 विधायकों की संख्या थी, लेकिन जरनैल सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।

केजरीवाल से इस्तीफे की मांग

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद कई विपक्षी पार्टियों ने आम आदमी पार्टी पर हमला करना शुरू कर दिया है और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की जा रही है। कांग्रेस के सीनियल लीडर अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल से तत्काल इस्तीफे की मांग की है। 

आप साफ करेगी अपना रूख

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद चौतरफा हमलों से घिरी आम आदमी पार्टी जल्द अपना रूख साफ करेगी। इसके लिये आम आदमी पार्टी जल्द एक प्रेस कांफ्रेस करने जा रही है।

किसने और क्यों की सदस्यता रद्द करने की मांग

बता दें कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया, जिसको लेकर प्रशांत पटेल नाम के वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करते हुए इन विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। 

इसके अलावा केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई और कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा। इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।

संविधान के अनुच्‍छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के मुताबिक संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है।
 

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