

तीन तलाक के खिलाफ के भले भारत में अब नया कानून बन गया हो लेकिन देश में सबसे पहले इसके खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला सायरा बानों को भी इस बुराई से लड़ने का श्रेय जाता है। सायरा बानो ने अब राजनीति के मैदान उतर गयी है। पढिये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट..
देहरादून: तीन तलाक के खिलाफ के भले ही मोदी सरकार को देश में ठोस कानून बनाने का श्रेय जाता हो लेकिन इस बुराई के विरोध में सबसे पहले मुखर होने का श्रेय जिस महिला को जाता है, वह है सायरा बानो। उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले की रहने वाली सायरा बानो ने ट्रिपल तलाक को सहा भी इसके खिलाफ लंबी लड़ाई भी लड़ी। सायरा बानो ने अब राजनीति मैदान में भी कदम रख लिये हैं।
ऊधमसिंह नगर में उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत की मौजदूगी में सायरा बानो ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। गौरतलब है कि तीन तलाक के खिलाफ सायरा बानो के साथ ही भाजपा ने भी लड़ाई लड़ी और तीन तलाक को खत्म करने के मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में भी जगह दी।
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की नीतियों से प्रेरित होकर ही सायरा ने भाजपा का दामन थामा। वह अब पार्टी में रहकर महिलाओं को न्याय दिलाने का काम करेंगी।
गौरतलब है कि सायरा बानो एक मुस्लिम महिला हैं। खुद मुस्लिम होने के बावजूद भी उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने 23 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ याचिका दायर की थी और मुस्लिमों में बहुविवाह प्रथा को खत्म करने की मांग उठाई थी।
लंबी राजनीतिक और कानूनी लड़ाई के बाद तीन तलाक के मुद्दे पर 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस मुद्दे पर मोदी सरकार भी खूब मुखर रही औऱ सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने भी इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
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