

डेफलंपिक्स (मूक बधिर खिलाड़ियों का ओलंपिक) के स्वर्ण पदक विजेता वीरेंद्र सिंह यादव ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के विश्वस्त संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के विरोध में देश के शीर्ष पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सरकार को अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: डेफलंपिक्स (मूक बधिर खिलाड़ियों का ओलंपिक) के स्वर्ण पदक विजेता वीरेंद्र सिंह यादव ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के विश्वस्त संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के विरोध में देश के शीर्ष पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सरकार को अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र ने ओलंपिक कांस्य पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया का समर्थन करते हुए कहा कि वह अपना सम्मान वापस लौटा देंगे। पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के प्रमुख चेहरों में शामिल साक्षी ने डब्ल्यूएफआई चुनावों में संजय सिंह की जीत के तुरंत बाद खेल से संन्यास की घोषणा की थी जबकि बजरंग ने शुक्रवार को अपना पद्मश्री लौटा दिया था।
वीरेंद्र ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘ मैं भी अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री सम्मान लौटाऊंगा। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, मुझे आपकी बेटी और मेरी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है।’’
उन्होंने सचिन तेंदुलकर और नीरज चोपड़ा जैसी देश की प्रतिष्ठित खेल हस्तियों से भी इस मुद्दे पर अपनी राय देने का आग्रह किया।
वीरेंद्र ने महान क्रिकेटर तेंदुलकर और ओलंपिक चैंपियन भाला फेंक खिलाड़ी चोपड़ा को टैग करते हुए कहा, ‘‘देश के सबसे उच्च (शीर्ष) खिलाड़ियों से भी अनुरोध करुंगा कि वे भी अपना निर्णय दें। ’’
वीरेंद्र को 2021 में देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री मिला था। इससे पहले उन्हें 2015 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
डब्ल्यूएफआई चुनाव के फैसले आने के तुरंत बाद साक्षी, बजरंग और विनेश फौगाट ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। इसमें साक्षी ने कुश्ती से संन्यास लेने का फैसला किया।
पूनिया ने एक दिन बाद ‘एक्स’ पर बयान जारी कर कहा, ‘‘मैं अपना पद्मश्री सम्मान प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरा बयान है। ’’
इन तीनों के अलावा देश के कुछ अन्य पहलवानों ने बृजभूषण पर कई महिला पहलवानों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। उन्होंने 30 मई को हरिद्वार में अपने पदक गंगा नदी में बहाने का फैसला किया था लेकिन किसान नेताओं ने उन्हें ऐसा कदम न उठाने के लिए मना लिया था।
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