Davos: वैश्विक आर्थिक रिपोर्ट में हुआ खुलासा, जानिए इस रिपोर्ट में क्या है खास

मौजूदा आर्थिक तथा भू-राजनीतिक झटकों के बीच वैश्विक आर्थिक वृद्धि के 2030 तक तीन दशकों में उसके सबसे नीचले स्तर पर गिरने का अनुमान है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 15 January 2024, 1:13 PM IST
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दावोस: मौजूदा आर्थिक तथा भू-राजनीतिक झटकों के बीच वैश्विक आर्थिक वृद्धि के 2030 तक तीन दशकों में उसके सबसे नीचले स्तर पर गिरने का अनुमान है। सोमवार को एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।

विश्व नेताओं की अपनी वार्षिक बैठक से पहले यहां ‘फ्यूचर ऑफ ग्रोथ’ 2024 रिपोर्ट जारी करते हुए विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने कहा कि मंदी जलवायु संकट तथा कमजोर होते सामाजिक अनुबंध सहित कई परस्पर जुड़ी वैश्विक चुनौतियों को और बढ़ा रही है, जो संयुक्त रूप से वैश्विक वृद्धि में प्रगति को उलट रही हैं।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार रिपोर्ट में आर्थिक वृद्धि के लिए एक नए दृष्टिकोण का आह्वान किया गया जो दीर्घकालिक स्थिरता तथा समानता, गति तथा गुणवत्ता की जांच के साथ दक्षता को संतुलित करे।

रिपोर्ट के अनुसार, 107 अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की गुणवत्ता का विश्लेषण करते हुए पाया गया कि उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएं नवाचार तथा समावेशन पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करती हैं, जबकि कम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं स्थिरता पर।

डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया ज़ाहिदी ने कहा, ‘‘ प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक वृद्धि बहाल करना आवश्यक होगा। हालांकि केवल वृद्धि ही पर्याप्त नहीं होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ रिपोर्ट आर्थिक वृद्धि का आकलन करने के लिए एक नए तरीके का प्रस्ताव रखती है जो दीर्घकालिक स्थिरता, लचीलेपन तथा निष्पक्षता के साथ-साथ वैश्विक तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करते हुए भविष्य के लिए नवाचार के साथ दक्षता को संतुलित करता है।’’

डब्ल्यूईएफ ने अपनी ‘फ्यूचर ऑफ ग्रोथ’ पहल भी शुरू की। इस दो साल की पहल का मकसद आर्थिक वृद्धि के लिए एक नई राह तैयार करना, साथ ही संतुलित वृद्धि, नवाचार, समावेशन, स्थिरता आदि के सर्वोत्तम मार्गों की पहचान करने में अर्थशास्त्रियों तथा अन्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर दुनिया भर के नीति निर्माताओं का समर्थन करना है।

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर देश ऐसे वृद्धि कर रहे हैं जो न तो टिकाऊ और न ही समावेशी हैं। इनकी नवाचार करने या उसका लाभ उठाने की क्षमता सीमित हैं और वैश्विक झटकों से निपटने में उनके योगदान तथा संवेदनशीलता को कम करती है।

Published : 
  • 15 January 2024, 1:13 PM IST

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