नहीं हटाया गया एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तकों से डारविन का सिद्धांत

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से चार्ल्स डारविन के विकासवाद के सिद्धांत को ‘हटाए’ जाने संबंधी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि ‘ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।’ पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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पुणे: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों से चार्ल्स डारविन के विकासवाद के सिद्धांत को ‘हटाए’ जाने संबंधी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि ‘ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, प्रधान ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में आयोजित एक कार्यक्रम में यह दावा किया।

उन्होंने कहा, “इन दिनों चर्चा है कि एनसीईआरटी ने डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को विज्ञान की किताबों से हटा दिया है और आवर्त सारणी (पीरियॉडिक टेबल) को भी पाठ्यपुस्तकों में जगह नहीं दी है, लेकिन मैं यहां सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना चाहूंगा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।”

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प्रधान ने कहा कि विवाद के गहराने के बाद उन्होंने एनसीईआरटी से बात की और इस संबंध में विवरण मांगा। एनसीईआरटी एक स्वायत्त संस्था है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “उनके (एनसीईआरटी) मुताबिक, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान दोहराव वाले कुछ हिस्सों को हटाया जा सकता है और बाद में उन्हें वापस लाया जा सकता है। इसलिए, कक्षा आठ और नौ के पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तक में विकासवाद के सिद्धांत से जुड़े कुछ हिस्से पिछले साल हटाए गए थे। लेकिन कक्षा 11 और कक्षा 12 के पाठ्यक्रम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।”

प्रधान ने कहा कि एक विचार है कि जो छात्र कक्षा 10 के बाद विज्ञान की पढ़ाई नहीं करेंगे, वे डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत से संबंधित कुछ विशिष्ट पहलुओं के ज्ञान से वंचित रह जाएंगे, जो कि एक स्वीकार्य चिंता है।

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उन्होंने कहा, “आवर्त सारणी कक्षा नौ में पढ़ाई जाती है और यह कक्षा 11 व 12 की पाठ्यपुस्तकों में भी शामिल है। एनसीईआरटी के मुताबिक, (विकासवाद के सिद्धांत से जुड़े) एक या दो उदाहरण हटाए गए थे। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की जा रही है और इस नीति के अनुसार नयी पाठ्य पुस्तकें तैयार का जा रही हैं।”










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