Crime in Haryana: CBI अधिकारी बन साइबर ठगों ने शख्स से कैसे की लाखों की ठगी, जानिए पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

हरियाणा के गुरुग्राम में साइबर ठगों द्वारा एक व्यक्ति से 56 लाख रुपये से अधिक की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर


गुरुग्राम: हरियाणा के गुरुग्राम में साइबर ठगों द्वारा एक व्यक्ति से 56 लाख रुपये से अधिक की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है।

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने कथित तौर पर खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी और मुंबई की साइबर अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) बताया तथा पीड़ित को एक दिन के लिए घर में नजरबंद भी रखा।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में बुधवार को साइबर अपराध थाना पश्चिम में प्राथमिकी दर्ज की गई।

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यहां के सेक्टर 51 के रहनेवाले देबराज मित्रा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, उन्हें 11 फरवरी को मुंबई से एक फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, नशीले पदार्थ और लैपटॉप की एक खेप ताइवान से आई है और सीमा शुल्क विभाग द्वारा इसे रोक दिया गया है। बाद में उनकी बात मुंबई अपराध शाखा के कथित अधिकारियों से कराई गई।

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फोन करने वाले ने खुद को सहायक उपनिरीक्षक बताते हुए स्काइप के जरिए उनसे संपर्क किया और उनके आधार कार्ड की जानकारी और फोटो ले ली। उन्होंने दावा किया कि वे मुंबई अपराध जगत से संबंधित धनशोधन मामल में आधार के लिंक होने की जांच करेंगे।

मित्रा ने शिकायत में कहा, ''स्काइप के जरिए वीडियो कॉल के जरिए मुझे 24 घंटे निगरानी में रखा गया। मुझे स्काइप से एक सूचना भी मिली कि मामला सीबीआई के आर्थिक विभाग में पंजीकृत है और वे धनशोधन के मामले की जांच कर रहे हैं। सीबीआई कार्यालय रविवार को बंद है, इसलिए डीसीपी सोमवार को मामले में शामिल होंगे। मैं पूरे रविवार कमरे में कैद की स्थिति में रहा।''

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उन्होंने कहा, ''बाल सिंह राजपूत नाम के किसी व्यक्ति ने सोमवार की सुबह खुद को मुंबई साइबर अपराध का डीसीपी बताते हुए कहा कि सावधि जमा, शेयर और म्युचुअल फंड से सभी निवेश वापस ले लिए गए हैं और निगरानी के लिए एक बैंक में स्थानांतरित किया जाना है। आरोपियों ने बताया कि निवेश का संबंध एक आतंकवादी समूह के लेनदेन से है।''

पीड़ित के अनुसार, उन्होंने दिए गए खाते में कुल 56,70,000 रुपये जमा किए और उन्होंने वादा किया कि जांच के बाद पैसे वापस कर दिए जाएंगे। जब बाद में उन्हें पूरी घटना पर संदेह हुआ तो उन्होंने शिकायत दर्ज कराई।

साइबर अपराध थाने में शिकायत के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और आरोपियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।










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