

कार्तिक मास कृष्ण पक्ष में धनतेरस के बाद और लक्ष्मी पूजा के पहले दिन चतुर्दशी को छोटी दिवाली मनाते हैं। छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। शास्त्रों में इस दिन को बहुत बड़ा महत्व है।
नई दिल्ली: कार्तिक मास कृष्ण पक्ष में धनतेरस के बाद और लक्ष्मी पूजा के पहले दिन चतुर्दशी को छोटी दिवाली मनाते हैं। इसे छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि दीयों की रोशनी से रात के अंधियारे को उसी तरह दूर भगा दिया जाता है, जैसे दीपावली की रात को। इसी दिन शाम को दीपदान की भी परंपरा है, जिसे यमराज के लिए किया जाता है।
मुक्ति पाने वाला पर्व
छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी या फिर रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। इस दिन यमराज की पूजा करने और उनके लिए व्रत करने का विधान है। माना जाता है कि महाबली हनुमान जी का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिए आज बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष के मुताबिक नरक चतुर्दशी को मुक्ति पाने वाला पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए इस चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा।
क्या है मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन आलस्य और बुराई को हटाकर जिंदगी में सच्चाई की रोशनी का आगमन होता है। रात को घर के बाहर दिए जलाकर रखने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु की संभावना टल जाती है। एक कथा के मुताबिक इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।
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