Chaitra Navratri Special: चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ मंगलवार से, जानिये कलश स्थापना कि विधि और महत्व

डीएन ब्यूरो

चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसमें पूरे नौ दिनों तक विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा कि जाती है। डाइनामाइट न्यूज़ कि इस रिपोर्ट में जानिए नवरात्रि में कलश स्थापना का महत्व

नवरात्रि का शुभारंभ कलश स्थापना से
नवरात्रि का शुभारंभ कलश स्थापना से


नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि का आगमन मंगलवार से होले वाला है। सभी भक्त नवरात्रि का आयोजन विशेष उत्साह और धूमधाम के साथ करने को तैयार हैं। इस पावन पर्व में मां दुर्गा की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और माता से सुख- समृद्धि की कामना की जाती है।

डाइनामाइट न्यूज़ कि इस खास रिपोर्ट में पढ़िए कलश स्थापना का विशेष महत्व और पूजा की संपूर्ण विधि।

कलश स्थापना का महत्व

हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग किसी भी शुभ कार्य से पहले कलश की स्थापना पूरे विधि-विधान से करते हैं। ऐसा इस लिए किया जाता है क्योंकि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पूजा के कलश में सभी देवी-देवताओं के साथ-साथ समस्त तीर्थों का निवास भी माना गया है।

ऐसी मान्यता है कि कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भोलेनाथ और कलश के मूल भाग में ब्रह्माजी विराजमान रहते हैं। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि पूजा के कलश के बीच वाले भाग में देवियां निवास करती हैं।

इसके साथ ही के घट को ब्रह्मांड में मौजूद सभी दिव्य शक्तियों का प्रतीक भी माना गया है। घट या कलश को स्थापित करने मात्र से घर में मौजूद वास्तु दोष दूर होते हैं।

घर में सभी शुभ कार्य सफल होते हैं और इसके साथ ही हर पूजा सफल होती है।

कलश स्थापना की विधि

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने पर विशेष ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है। चैत्र नवरात्रि के अवसर पर घर में कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले पूजा घर को अच्छी तरह से साफ कर लें।  
इसके बाद एक साफ मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें। इसके बाद इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उनपर पानी का छिड़काव करें।

अब इस मिट्टी के कलश को पूजा घर या जहां पर माता की चौकी हो, वहां इस कलश स्थापित कर दें। इसके बाद एक कलश में लाल चुनरी बांध कर उस पर सवास्तिक बनाएं।

इसके बाद कलश पर आम के 7-8 पत्ते लगाएं। और कलश में पानी और गंगाजल डालकर उसे माता की चौकी के पास या पूजा घर के पास स्थापित करे और पूजा के समय अर्गला स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। इसके बाद उस कलश में जल, अक्षत और कुछ सिक्के डालें और ढककर रख दें। कलश को मिट्टी के ढक्कन से ढक दें। इसके बाद दीप-धूप जलाएं और कलश की पूजा करें।










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