क्या ‘Citizen IT Cell’ के साथ सोशल मीडिया पर नफरत फैलने से रोका जा सकता है?, पढ़ें ये रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया पर ‘झूठे वीडियो’ जारी कर नफरत फैलाने की कथित कोशिशों को रोकने के लिए बुधवार को ‘सिटिजन आईटी सेल’ या ‘सिटिजन मीडिया सेल’ बनाने की जरूरत पर बल दिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया पर ‘झूठे वीडियो’ जारी कर नफरत फैलाने की कथित कोशिशों को रोकने के लिए बुधवार को ‘सिटिजन आईटी सेल’ या ‘सिटिजन मीडिया सेल’ बनाने की जरूरत पर बल दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कई धर्मनिरपेक्ष और शांतिप्रिय लोगों व समूहों ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। भूषण ने इस दौरान कहा कि हर बुद्धिमान व्यक्ति समझता है कि नफरत फैलाने से सबका नुकसान होता है लेकिन ‘‘दुर्भाग्य से हमारी चुनावी व्यवस्था में इससे कुछ लोगों को अल्पकालिक फायदा होता है और उन्हें लगता है कि वह नफरत फैला कर सत्ता में आ सकते हैं और सत्ता में बने रह सकते हैं।”

इस संवाददाता सम्मेलन में शिक्षक एवं कार्यकर्ता नंदिता नारायण ने ‘दोस्ती’ (‘डेमोक्रेटिक आउटरीच फॉर सेकुलर ट्रांसफोर्मेशन ऑफ इंडिया’) के गठन की घोषणा की। उन्होंने बताया कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ने वाले विभिन्न जन संगठन और एनजीओ इस मंच का हिस्सा होंगे।

इस दौरान उपस्थित मीडिया कर्मियों को पूर्व आईएएस अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, उच्चतम न्यायालय के वकील संजय हेगड़े, पत्रकार भाषा सिंह और इतिहासकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी ने संबोधित किया।

भूषण ने अपने संबोधन में भारतीय जनता जनता पार्टी (भाजपा) पर करीब-करीब सारे लोकतांत्रिक और नियामक संस्थानों को ध्वस्त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘नफरत फैलाने’ वालों को राजनीतिक तौर पर हराना होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि ‘फर्जी’ वीडियो फैलाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ मुकदमे दायर किए जाने चाहिए। भूषण ने हरियाणा के नूंह और मणिपुर में हिंसा की पृष्ठभूमि में कहा कि हर शहर में शांति समिति या सांप्रदायिक सौहार्द समिति गठित की जानी चाहिए और उसमें समाज के सम्मानित लोगों को शामिल करना चाहिए।

वहीं मंदर ने दावा किया कि पढ़े-लिखे और संपन्न परिवारों के नफरत के दायरे में आना चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में एक ट्रेन में रेलवे पुलिस कर्मी द्वारा कथित रूप से अपने सहकर्मी और तीन अन्य लोगों की हत्या करने की घटना पर प्रधानमंत्री मोदी को बोलना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि वह कल ही नूंह से लौटे हैं और दावा किया कि वहां पर सरकार ने उन ढांचों पर भी बुलडोजर चला दिया जो अतिक्रमण नहीं थे।

बाद में एक बयान में इन वक्ताओं के हवाले से कहा गया कि मणिपुर में तीन महीने से ज्यादा वक्त से जारी जातीय संघर्ष में महिलाओं पर अत्याचार हुए हैं और राज्य सरकार और केंद्र सरकार इसे रोकने में नाकाम रही है।

बयान में कहा गया है कि 31 जुलाई को नूंह और गुरुग्राम में फैली हिंसा हरियाणा सरकार की नाकामी की ओर इशारा करती है, क्योंकि सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पहले ही सामने आ गए थे।

नूंह में विश्व हिंदू परिषद की जलाभिषेक यात्रा पर भीड़ के हमले के बाद हिंसा भड़क गई थी जो बाद में गुरुग्राम और आसपास के इलाकों तक फैल गई थी। इस हिंसा में दो होम गार्ड और एक इमाम समेत छह लोगों की मौत हो गई।










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