क्वीन विक्टोरिया के समय से ही भारत के साथ ब्रिटेन के शाही परिवारों का है खास जुड़ाव, पढ़ें जरूरी फैक्ट्स

डीएन ब्यूरो

महारानी विक्टोरिया अपने सभी प्रमुख शाही समारोहों में भारतीयता को शामिल करने वाली ब्रिटिश शाही परिवार की पहली सदस्य थीं और अब 200 साल बाद महाराजा चार्ल्स तृतीय के इस सप्ताहांत में होने वाले राज्याभिषेक में यह इतिहास परिलक्षित होगा।

फाइल फोटो
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लंदन: महारानी विक्टोरिया अपने सभी प्रमुख शाही समारोहों में भारतीयता को शामिल करने वाली ब्रिटिश शाही परिवार की पहली सदस्य थीं और अब 200 साल बाद महाराजा चार्ल्स तृतीय के इस सप्ताहांत में होने वाले राज्याभिषेक में यह इतिहास परिलक्षित होगा। ब्रिटिश मूल की भारतीय इतिहासकार और लेखक श्राबणी बसु ने यह बात कही।

लंदन में रहने वाली श्राबणी ने ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल : द एक्स्ट्राऑर्डिनरी ट्रू स्टोरी ऑफ द क्वीन्स क्लोजेस्ट कॉन्फिडेंट’ किताब लिखी है। इस पर फिल्म भी बनी जो ऑस्कर में नामित हुई थी। फिल्म में विक्टोरिया का किरदार डेम जूडी डेंच ने निभाया था।

श्राबणी ने दावा किया कि शनिवार को वेस्टमिंस्टर एबे में होने वाले समारोह के परिसर की साज-सज्जा भारत के प्रति महारानी विक्टोरिया के लगाव की झलक पेश करेगी।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, भारतीय मूल की इतिहासकार ने राज्याभिषेक से कुछ दिन पहले लंदन के बकिंघम पैलेस के सामने स्थित विक्टोरिया मेमोरियल में दिये गये एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘महारानी विक्टोरिया के साथ भारत का जुड़ाव ऐसा ही रहा है। इसकी एक वजह उन्हें उर्दू सिखाने वाले अब्दुल करीम से उनका जुड़ाव भी है। वह भारत को पसंद करती थीं। हालांकि उम्र संबंधी कारणों से वह कभी भारत नहीं गयीं।’’

श्राबणी ने कहा, ‘‘वह भारत जाने को उत्सुक रहती थीं और अपने हर समारोह में वह सुनिश्चित करती थीं कि बकिंघम पैलेस से वेस्टमिंस्टर एबे तक उनकी शोभायात्रा में भारतीय एस्कॉर्ट भी हो।’’

इस बीच ब्रिटेन के सबसे बड़े राजशाही विरोधी समूह ‘रिपब्लिक’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ग्राहम स्मिथ ने ट्राफल्गर स्क्वायर और मध्य लंदन में राज्याभिषेक समारोह के मार्ग पर प्रदर्शनों की अपनी योजना जाहिर की है।

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यह समूह देश में निर्वाचित राष्ट्र प्रमुख का रास्ता बनाने के लिए राजशाही को समाप्त करने की वकालत करता है।

उन्होंने हाल ही में कहा था ‘‘भारत ने राजशाही से मुक्ति पाने के लिए, राजशाही और गणतंत्र को अलग अलग रखने के लिए बहुत पहले सही कदम उठाया था। और यह हमें याद दिलाता है कि राष्ट्रमंडल उस तरह राजशाही से संबद्ध नहीं है।’’










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