Bihar in 2023: जातिगत सर्वेक्षण और आरक्षण वृद्धि की चर्चाओं में बिहार रहा अव्वल

डीएन ब्यूरो

बिहार 2023 के दौरान जाति आधारित गणना तथा सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण में वृद्धि के कारण चर्चाओं में रहा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार


पटना: वर्ष 2023 के दौरान बिहार ने देश भर के विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल भी की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी के कहने पर यह कदम उठाया। बनर्जी ने उनसे कहा था कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की मातृभूमि को भाजपा नीत केंद्र सरकार से मुक्ति दिलाने के लिए एक बार फिर अगुआई करनी चाहिए।

नीतीश कुमार सरकार ने कानूनी और राजनीतिक बाधाओं को पार करते हुए प्रदेश में अपनी महत्वाकांक्षी जाति आधारित गणना करवायी। इस सर्वेक्षण में अन्य बातों के अलावा यह भी पता चला कि अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित लोग की संख्या कुल आबादी का 63 प्रतिशत है । उनमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग नामक उपसमूह भी शामिल है। नीतीश सरकार कुमार ने इस सर्वेक्षण के आधार पर एससी और एसटी के अलावा उपरोक्त सामाजिक समूहों के लिए राज्य में आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया जो उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण सीमा से अधिक है ।

माना जाता है कि भाजपा का कम संख्या वाली ऊंची जातियों में जनाधार है। वह मुसलमानों को अपने साथ जोड़ नहीं पायी है। यादव समुदाय को लालू प्रसाद के राजद के कोर मतदाता माना जाता है।

लेकिन महागठबंधन ने भाजपा के इस आरोप पर पलटवार करते कहा कि इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष में किसी भी संदिग्ध विसंगति का पता राष्ट्रव्यापी ‘‘जातिगत जनगणना’’ द्वारा लगाया और ठीक किया जा सकता है और इसके लिए केंद्र सरकार स्वयं सक्षम है ।
2022 में भाजपा से नाता तोड़ लेने के बाद नीतीश कुमार अपने नए सहयोगियों और पुराने कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद के राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ मजबूत होते नजर आये। लेकिन इसी दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जैसे उनके कुछ करीबी उनका साथ छोड़कर राजग में शामिल हो गए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राजनीति को लेकर अधिक चर्चा में रहने वाले बिहार इस साल के अंत में निवेशकों के साथ बैठक कर 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के वादे के साथ स्वयं को आर्थिक संकट से बाहर निकलने की उम्मीद कर रहा है।अडाणी समूह ने बिहार में अकेले 8,700 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है।

बढती बेरोजगारी के बीच बिहार सरकार 2023 के दौरान रोजगार सृजन के वादे को पूरा करने में जुटी रही और उसने पुलिस, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभागों में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाया । उसे अब निजी क्षेत्र द्वारा निवेश के किए गए वादों से और अधिक रोजगार सृजन की उम्मीद है।










संबंधित समाचार