फर्जी FIR कांड में बड़ी खबर: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने लिया मामले का संज्ञान, नोटिस भेज तलब किया जवाब
महराजगंज जिले में अपराधी व पुलिस गठजोड़ के षड़यंत्र के तहत पत्रकारों के खिलाफ दर्ज फर्जी एफआईआर कांड में बड़ी खबर आ रही है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान ले लिया है। अब इस मामले में फर्जी एफआईआर करने और कराने वालों की गर्दन फंसनी तय है। पूरी खबर:
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारों के विभिन्न संगठनों की एकता का सकारात्मक परिणाम सामने आय़ा है।
देश की राजधानी नई दिल्ली से चलने वाले अंग्रेजी व हिंदी भाषा के राष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल डाइनामाइट न्यूज़ के खोजी और साहसी पत्रकारों के खिलाफ महराजगंज जिले में दर्ज करायी गयी फर्जी एफआईआर में पुलिस की मुसीबतें बढ़ गयी हैं।
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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
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महराजगंज जिले के घुघुली थाने में फर्जी एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवान और अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला ने एक षड़यंत्र रचा। इसके बाद अपनी साजिश में जिले के एक कुख्यात गुंडे/गैंगेस्टर को शामिल किया। इस गैंगेस्टर को एसपी ने सामाजिक कार्यकर्ता बना एक तहरीर ले ली और इसकी जांच का जिम्मा एएसपी को सौंपा। इसके बाद झूठी जांच के आधार पर जो अपराध घटा ही नहीं उसके लिए एक फर्जी मुकदमा 14 मई को लिखवा दिया।
जब यह मामला दिल्ली पहुंचा तो पत्रकारों ने सामूहिक तौर पर सारे मामले से गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराने का निर्णय लिया। साथ ही आगामी संसद सत्र में इस मामले को उठाये जाने की रणनीति बनी।
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इसी बीच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने शुक्रवार को अपना विस्तृत आदेश जारी किया है। आयोग ने अपने आदेश में यूपी के आला अफसरों को नोटिस थमाते हुए लिखित में पूछा है कि क्या अपराध घटित हुआ है? बिना संज्ञेय अपराध घटित हुए कैसे एफआईआर दर्ज की गयी? एएसपी की जांच का आधार क्या है? कैसे एक कुख्यात गुंडे, गैंगेस्टर व हिस्ट्रीशीटर को सामाजिक कार्यकर्ता मान लिया गया? जांच के दौरान एएसपी ने पत्रकारों का बयान क्यों नहीं लिया? एफआईआर में Penal Provisions (दंड संबंधी प्रावधान) किस आधार पर लगाये गये हैं? इन सब बातों की विस्तृत रिपोर्ट तलब की गयी है।
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आपराधिक कृत्य एसपी और एएसपी का, जवाब देंगे बड़े अफसर
निर्दोष नागरिकों/पत्रकारों पर फर्जी एफआईआऱ दर्ज कर एसपी और एएसपी ने बड़ा आपराधिक कृत्य किया है। अपराध इन दोनों ने किया है और सक्षम संस्थाओं/अदालतों को जवाब देंगे यूपी सरकार के आला नौकरशाह। कुल मिलाकर इस मामले में फर्जी एफआईआऱ दर्ज करवाकर एसपी और एएसपी ने अपनी गर्दन बुरी तरह फंसा ली है।