Bhagat Singh Jayanti: रगों में जोश और दिल में इंकलाब, देशवासी ने किया भगत सिंह को याद

आज देश के महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की 117वीं जयंती पर याद कर रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 28 September 2024, 5:32 PM IST
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नई दिल्ली: “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है” का नारा देने वाले, अंग्रेजों से लोहा लेने वाले और उनकी नाक में दम करने वाले महान क्रांतिकारी भगत सिंह (Bhagat Singh) की 116वीं जयंती (Anniversary) आज 28 सितंबर को मनायी जा रही है। भगत सिंह देश के लिए महज 23 साल की उम्र में फांसी (Hanged ) के फंदे पर चढ़ गए थे। उनमें बचपन से ही देश की आजादी (Independence) का जुनून सवार था। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार भारत के इतिहास में कई वीर सपूतों का नाम दर्ज है। इनमें भगत सिंह का नाम भी गर्व के साथ लिया जाता है।

भगत सिंह ने अपने साहस और जुनून के साथ अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को हिलाकर रख दिया था। भले ही आज वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके क्रांतिकारी विचार और उनकी सोच आज भी युवाओं को प्रेरणा देती है।

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्हें बचपन से ही उनकी चाची देशभक्ति और बलिदान की कहानियां सुनाती थीं।

उनके कोमल मन में शोर्यगाथाओं का खासा प्रभाव पड़ा। बस फिर क्या था, अपनी छोटी सी उम्र में ही वो ठान बैठे थे कि वो बड़े होकर देश की सेवा करेंगे। जलियांवाला बाग कांड का उनपर खासा गहरा प्रभाव पड़ा।

दरअसल अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा में जनरल डायर ने गोली चलवा दी थी, जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए थे। इस घटना से सारा देश हिल गया था। उस समय बाहर वर्षीय भगत सिंह भी अमृतसर पहुंचे थे। उन्होंने देखा कि जलियांवाला बाग की मिट्टी खून से लाल हो गई है। ऐसे में वो गुस्से से कांप उठे थे।

अपनी बहादुरी और देश की आजादी के लिए अपनी दीवानगी से उन्होंने अंग्रेजी सरकार की जड़े हिला दी थी। अपना जीवन भारत पर न्यौछावर करने वाले भगत सिंह को 23, 1931 में फांसी दी गई थी, लेकिन उनकी शहादत बेकार नहीं गई और उनकी लगाई आजादी की चिंगारी ने आग बनकर पूरे ब्रिटिश शासन को जला डाला। उनके जोश से भरपूर विचार आज भी लोगों को जिंदादिली से भर देते हैं। 

पढ़ें भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार

1. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।

2. निष्‍ठुर आलोचना और स्‍वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

3. अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज़ को जोरदार होना होगा. जब हमने बम फेंका तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना और उसे आजाद करना चाहिए।'

4. बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है। 

5.  प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्‍तों को अक्‍सर लोग पागल कहते हैं।

6. व्‍यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।

7. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

8. 'आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं। बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की दरकार है।'

9. 'वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं।'

10. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।

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