विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को बदला, जानिये किसे मिली जिम्मेदारी

डीएन ब्यूरो

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया है। बस्तर क्षेत्र के युवा नेता और सांसद दीपक बैज अब मोहन मरकाम की जगह नये प्रदेश अध्यक्ष होंगे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

छत्तीसगढ़ कांग्रेस नये प्रदेश अध्यक्ष  दीपक बैज
छत्तीसगढ़ कांग्रेस नये प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज


रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी दल कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया है। बस्तर क्षेत्र के युवा नेता और सांसद दीपक बैज अब मोहन मरकाम की जगह नये प्रदेश अध्यक्ष होंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बस्तर क्षेत्र के ही कोंडागांव विधानसभा सीट से विधायक मोहन मरकाम पिछले चार वर्षों से पार्टी की राज्य इकाई के मुखिया थे। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ समय से सत्ता और संगठन के बीच तालमेल की कमी के कारण मरकाम का हटना तय माना जा रहा था।

राज्य के राजनीतिक जानकारों के मुताबिक पार्टी ने चुनाव से पहले यह बताने की कोशिश की है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नेतृत्व सर्वमान्य होगा। वहीं बस्तर क्षेत्र से आने वाले आदिवासी नेता को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद उसी क्षेत्र से अन्य आदिवासी नेता को इस पद पर लाने से जाति और क्षेत्रीय समीकरण में कोई बदलाव नहीं होगा।

राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि मोहन मरकाम लगातार कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहे, इसलिए उन्हें हटाया गया।

कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष बैज बस्तर जिले के चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र (अनुसूचित जनजाति आरक्षित) से दो बार विधायक रहे हैं। 2019 के संसदीय चुनावों में बस्तर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधायक पद छोड़ दिया था।

देश और राज्य में 'मोदी लहर' के बीच संसदीय चुनावों में जीत ने बैज को सुर्खियों में ला दिया था। राज्य की 11 लोकसभा सीट में से जिन दो सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी उनमें बस्तर लोकसभा सीट भी है।

42 वर्षीय बैज ने विधानसभा और लोकसभा के भीतर किसानों और आदिवासियों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है।

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14 जुलाई 1981 को बस्तर जिले के गढ़िया गांव में जन्मे बैज छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। 27 साल की उम्र में वह 2008 में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के बस्तर जिले के अध्यक्ष बने तथा अगले वर्ष उन्हें युवा कांग्रेस की बस्तर जिला इकाई के महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया था।

बैज पहली बार 2013 में और फिर 2018 में लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए।

पार्टी ने बस्तर क्षेत्र में युवा नेता के रूप में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था।

हाल ही में पार्टी महामंत्री समेत कुछ पदों को लेकर मरकाम का आदेश और कुछ ही दिनों बाद उस आदेश को राज्य प्रभारी कुमारी शैलजा द्वारा रद्द किए जाने के बाद यह माना जा रहा था कि जल्द ही कांग्रेस में नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होगी।

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मरकाम के कामकाज को लेकर बहुत खुश नहीं थे।

राजनीतिक मामलों को जानकार आर कृष्ण दास कहते हैं कि पिछले महीने संगठन महामंत्री और अन्य पदों को लेकर मरकाम के आदेश और कुमारी शैलजा द्वारा उस आदेश को रद्द करने के बाद माना जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष को जल्द ही बदलेगी।

दास कहते हैं कि कांग्रेस एक आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष की जगह गैर-आदिवासी को इस पद पर नियुक्त कर राज्य के बहुसंख्यक आदिवासी समुदाय को नाराज नहीं कर सकती है। वहीं वह बस्तर क्षेत्र की अनदेखी करने का जोखिम भी नहीं उठाएगी।

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उन्होंने कहा कि बैज की नियुक्ति के साथ कांग्रेस ने साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बघेल की ताकत में इजाफा किया है तथा जाति और क्षेत्रीय समीकरण को भी बनाए रखा है।

पिछले महीने कांग्रेस ने लंबे समय से नाराज चल रहे मंत्री टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया था। सिंहदेव का राज्य के उत्तर में बसे सरगुजा क्षेत्र में काफी प्रभाव है।

दास ने कहा कि विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से अपने समुदाय के लोगों जो राज्य का लगभग 32 प्रतिशत हिस्सा है का समर्थन बरकरार रखना बैज के प्रमुख कार्यों में से एक होगा।

राज्य में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने मरकाम को हटाने को लेकर कहा, ''कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष मोहन मरकाम जी लगातार कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुखर रहे। उन्होंने डीएमएफ समेत भूपेश सरकार के अनेक भ्रष्टाचार का खुलासा किया था। इस भ्रष्टाचारी सरकार को यह पसंद नहीं आया और साज़िश करके उन्हें पद से हटाया गया है। यह निहायत ही अनुचित है।''

साव ने कहा, ''कांग्रेस के भीतर नाम मात्र का भी आंतरिक लोकतंत्र नहीं बचा है।यह आदिवासी समाज का अपमान है।''

उन्होंने कहा, ''मरकाम जी कांग्रेस के संविधान के तहत प्राप्त अधिकार का उपयोग करते हुए पार्टी को चलाने का काम कर रहे थे। इस कारण वे दस जनपथ के निशाने पर थे। कांग्रेस में अब मरकाम जी को रहना नहीं चाहिए। उन्हें कांग्रेस छोड़ देनी चाहिये।''










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