आजमगढ़ः सरकार की घोर उपेक्षा का शिकार हुआ साहित्यकार, समाज भी लाभ से वंचित

उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है। लेकिन आज यहां एक साहित्याकार को घोर उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 16 January 2024, 6:28 PM IST
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आजमगढ़: उत्तर प्रदेश का आजमगढ़ जिला साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है। लेकिन आज यहां एक साहित्याकार को घोर उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। पांच सौ से अधिक किताबें लिख चुका साहित्यकार आर्थिक तंगी के कारण अपनी किताबें प्रकाशित नहीं करवा पा रहा है, जिससे उनकी रचनाएं नष्ट होती जा रही हैं और समाज उससे लाभ लेने से वंचित हो रहा है।

जिले के अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र स्थित चत्तुरपुर मधईपट्टी गांव के एक ही परिवार के पांच लोग साहित्य और लेखन से जुड़े हैं। जिसमें राजेन्द्र त्रिपाठी राहगीर अब तक पांच सौ से अधिक साहित्य की किताबें लिख चुके हैं और उनकी 30 किताबों का प्रकाशन भी हो चुका है। सबसे बड़ी बात इनकी एक किताब ‘‘अयोध्या खंड काव्य’’ मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा भी खरीदी गई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, त्रिपाठी की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण लगभग पांच सौ किताबों का प्रकाशन नहीं हो पा रहा है। जिससे उनके लेख नष्ट हो रहे हैं।

कई बड़े नेताओं से मिल चुके 

आजमगढ़ की यह प्रतिभा जिम्मेदार व्यक्तियों की अनदेखी के कारण अब तक दबी हुई है। राजेंद्र व उनके पुत्र हेमन्त त्रिपाठी किताबों के प्रकाशन के लिए कई बड़े नेताओं से भी मिल चुके हैं लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में राजेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि सरकार उनकी मदद कर किताबों का प्रकाशन करायें। बता दें कि राजेंद्र त्रिपाठी पर लखनऊ विश्व विद्यालय से पीएचडी भी हो चुकी है। वह अपनी रचनाओं के लिए कई बार पुरस्कृत भी हो चुके हैं।

हेमन्त त्रिपाठी और राजेंद्र त्रिपाठी

वही राजेंद्र के पुत्र का कहना है कि वह प्रयासरत है कि साहित्य ग्रन्थ किस तरह से प्रकशित हो। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तीन बार मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि नेता और प्रशासन अगर गम्भीरता से साहित्य को लेता तो साहित्य आज उपेक्षित नही होता।