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यूपी के गजब अपराधी: B Tech, BBA, MBA, PHD पढ़कर बने Digital Arrest और Cyber Crime के एक्सपर्ट, UP STF ने तोड़ी सबकी कमर

उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया, जो ऊंची शिक्षा प्राप्त करने के साइबर फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट, गैमिंग के जरिये लाखों की ठगी कर रहे थे। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर..
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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यूपी के गजब अपराधी: B Tech, BBA, MBA, PHD पढ़कर बने Digital Arrest और Cyber Crime के एक्सपर्ट, UP STF ने तोड़ी सबकी कमर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्ट, शेयर मार्केट/इनवेस्टमेंट, गेमिंग, आदि तरीकों से की जा रही साइबर ठगी के साथ कार्पोरेट बैंक खाते किराये पर लेकर फर्जीवाड़ी करने वाले एक बड़े गैंग का पर्दाफाश किया। एसटीएफ ने इस संगठित गैंग के सरगना सहित 6 कुख्यातों को गिरफ्तार किया। 

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी बीटेक, एमटेक, पीएचडी किये हुए है और सभी इस गौरखधंधे में शामिल थे।

गिरफ्तार आरोपियों के नाम
गिरफ्तार आरोपियों में गैंग का सरगान अब्दुल मलिक निवासी संतकबीर नगर हाल पता खूबसूरत अपार्टमेंट नियर डीएम कम्पाउंड लालबाग हजरतगंज लखनऊ भी शामिल है। इसके अलावा आयुष मिश्रा निवासी गोरखपुर, याषीन अहमद उर्फ यासिर निवासी गोंडा, सैयद आलिम हुसैन निवासी गोंडा, पुष्पेन्द्र सिंह निवासी रायबरेली और विजय कुमार पाठक निवासी जौनपुर शामिल हैं। सभी आरोपियो को लखनऊ से गिरफ्तार 

 

एसटीएफ ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से मोबाइल फोन, केडिट कार्ड, आधार कार्ड समेत कई दस्ताबेज बरामद किया गया। वहीं इस गैंग में शामिल अब्दुल मलिक ने पूछताछ में बड़ा खुलास किया।

डाइनामाइट न्युज के मुताबिक, गिरोह के सदस्य अब्दुल मलिक से कडाई से पूछताछ करने पर उसके द्वारा बताया गया कि शनिवार  वे लोग एक्सिस बैंक के कार्पोरेट एक खाता संख्या 924020049641238 जो कि विजय कुमार पाठक का है, जिसके डेनियल काठमांडू नेपाल द्वारा आपरेट किया जा रहा है। वहीं ठगे गये रूपयों से प्राप्त कमीशन को बांटने के लिए इकट्ठा हुए थे।

साथ ही इसके अतिरिक्त भी वे लोगों द्वारा कई कार्पोरेट बैंक खातों को अनाधिकृत तरीके से एक्सिस कर आपरेट भी किया। इनमें डिजिटल अरेस्ट, शेयर मार्केट, इनवेस्टमेंट, टास्क फ्राड, गेमिंग, जुआ, आदि तरीकों से साइबर ठगी का रूपया आया था। ऐसे में लोगों को मोटा कमीशन मिला है। 

गैंग का खुलासा

गिरफ्तार अभियुक्तों व गैंग के सरगना अब्दुल मलिक से पूछताछ में पता चला कि अब्दुल मलिक वर्ष 2017 में संतकबीर नगर से इंटरमीडिएट करने के बाद लखनऊ में नीट की तैयारी करने के लिए आया। 03 वर्षों तक प्रयास करने पर भी वह नीट में सफल नही हुआ। इसी बीच उसकी लखनऊ में कई लोगों से मित्रता हो गयी वह लखनऊ में रहने लगा।

वर्ष 2022 में उसकी मुलाकात शुभम ठाकुर नामक व्यक्ति से हुई जो खुद को शेयर मार्केट का बडा ट्रेडर बताता था। शुभम ने मलिक को बताया कि उसके साथ काम करने व इनवेस्टमेंट करने पर वह रूपये 1 लाख पर 12 हजार रूपये प्रतिमाह की दर से फायदा देगा। फायदे के लालच में आकर मलिक द्वारा खुद से लोन लेकर लगभग 10 लाख रूपये व अपने जानने वालों के लगभग 50 लाख रूपये शुभम को ट्रेडिंग करने के लिए दिये गये।  इसके बाद दो माह तक फायदा देने के बाद शुभम सारे रूपये लेकर भाग गया।

पूछताछ में सामने आया कि कर्ज अधिक हो जाने व लोगों द्वारा अपना रूपया वापस मांगने के कारण मलिक द्वारा साइबर क्राइम कर रूपये कमाने का प्रयास करने लगा।

लगभग 15 लाख रूपये की ठगी

अब्दुल मलिक पर वर्ष 2024 में थाना छितवापुर में भी  केस दर्ज हुआ। इसमें मलिक व उसके गिरोह द्वारा एनजीओ के माध्यम से लगभग 15 लाख रूपये की ठगी की गयी थी।  सितम्बर-2024 में मलिक की मित्रता लखनऊ के फरहान से हुई।

फरहान ने मलिक को जैकी पूना व डेनियल काठमांडू नेपाल से सोशल मीडिया के माध्यम से जोडा और कम समय में साइबर क्राइम कर रूपये कमाने के लिए कार्पोरेट बैंक खातों की जानकारी व बैंक खाता धारकों को मैनेज कर उनके बैंक खातों की जानकारी साझा करने पर मोटा कमीशन देने की बात हुई।

ठगी का काम

इसके बाद मलिक अपने मित्र आयुष मिश्रा, याषीन अहमद, सैयद आलिम, पुष्पेन्द्र सिंह आदि के साथ मिलकर ठगी का काम करने लगा।

कैसे करते थे ठगी

फील्ड से कार्पोरेट बैंक खाता धारकों को ढूढकर उनकों मोटा कमीशन का लालच देकर उनकी बैंक खाते की किट, एटीएम कार्ड, चेक बुक, रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर सिम कार्ड, इंटरनेट बैंकिग का यूजर आईडी पासवर्ड, कार्पोरेट आईडी, क्यूआर कोड आदि लेकर मलिक तक पहुचाने का काम गैंग के अन्य सदस्य करने लगे। गैंग के सदस्य बैंक खाता धारक के साथ होटल में रूकते थे फिर मौका पाकर उसके मोबाईल में एपीके फाइल के माध्यम से मैसेज फारवर्ड करने का साफ्टवेयर डाउनलोड कर देते थे। फिर अब्दुल मलिक, डानियल काठमांडू नेपाल, फरहान निवासी इंदिरा नगर लखनऊ जैकी निवासी पूना आदि के माध्यम से साइबर ठगी की प्रक्रिया पूरी कर लोगों के साथ साइबर ठगी का काम कर अवैध रूप से धन अर्जित करने लगे। 

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