सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले अक्षदीप सिंह ने पैदलचाल में बनाई राष्ट्रीय पहचान

डीएन ब्यूरो

 पंजाब के बरनाला जिले के एक छोटे से कहनेके गांव के रहने वाले अक्षदीप सिंह ने भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखा था लेकिन इसकी तैयारियों ने उन्हें पेरिस ओलंपिक का टिकट पक्का करने वाला एथलीट बना दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अक्षदीप सिंह ने पैदलचाल में बनाई राष्ट्रीय पहचान
अक्षदीप सिंह ने पैदलचाल में बनाई राष्ट्रीय पहचान


चंडीगढ़:  पंजाब के बरनाला जिले के एक छोटे से कहनेके गांव के रहने वाले अक्षदीप सिंह ने भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखा था लेकिन इसकी तैयारियों ने उन्हें पेरिस ओलंपिक का टिकट पक्का करने वाला एथलीट बना दिया।

    पिछले महीने झारखंड के रांची में आयोजित 10वीं राष्ट्रीय ओपन रेस पैदल चाल चैंपियनशिप के 20 किमी स्पर्धा में 23 वर्षीय अक्षदीप ने राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम करने के साथ 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों का क्वालिफिकेशन हासिल किया।

अक्षदीप ने इस स्पर्धा में एक घंटा 19 मिनट और 55 सेकंड के समय के साथ राष्ट्रीय बनाया था। उन्होंने हरियाणा के संदीप कुमार ( एक घंटा 20 मिनट और 16 सेकंड) का रिकॉर्ड तोड़ा था।

उन्होंने कहा, ‘‘ जब मैं 15 साल का था, तब मैंने सेना में शामिल होने के अपने सपने को पूरा करने की तैयारी शुरू कर दी थी। उस समय मैं तेज दौड़ता था और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे गांव के अधिक उम्र के युवकों ने भी इसके लिए मेरी तारीफ की थी। उन्होंने ही सुझाव दिया कि मुझे एथलेटिक्स में हाथ आजमाना चाहिये।’’

अक्षदीप इसके बाद बरनाला में कोच जसप्रीत सिंह से मिले। उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन कोच ने सुझाव दिया कि मैं पैदल चाल का विकल्प चुनूं। मुझे शुरू में यह पसंद नहीं आया क्योंकि मैं दौड़ने वाली स्पर्धाओं में भाग लेना चाहता था।’’

इसके बाद अक्षदीप दिसंबर 2016 में पटियाला आए जहां कोच गुरदेव सिंह ने उन्हें पैदल चाल के लिए प्रशिक्षित किया।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आखिरकार अप्रैल 2017 में पैदल चाल में आगे बढ़ने का मन बना लिया।’’

अक्षदीप ने तरनतारन में आयोजित अंडर-18 उत्तर भारत चैंपियनशिप में अपना पहला कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने अंडर-18 जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया और रजत पदक जीता। उन्होंने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेलों  2017 में फिर से रजत पदक जीता।

उन्होंने प्रशिक्षण शुरू करने के एक वर्ष के अंदर अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

इसके बाद 2019 में घुटने में चोट के कारण वह विश्व विश्वविद्यालय खेलों (इटली) में भाग नहीं ले सके। फरवरी 2020 में उन्होंने खेल में वापसी की लेकिन राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता में 12वें स्थान पर रहे। इस दौरान कोविड-19 महामारी के दौर ने उनके लिए चीजों को जटिल बना दिया।

अक्षदीप ने कहा, ‘‘  मेरी अंतरात्मा की आवाज मुझे फिर से मेरे खेल में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरित किया और 2021 में मैं प्रशिक्षण के लिए बेंगलुरु गया।

अक्षदीप ने जनवरी 2022 में मैंगलोर में अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय खेलों में  नया रिकॉर्ड बनाया।

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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ एथलीट घोषित किया गया। इसके साथ, मैंने आत्मविश्वास हासिल किया।’’

पिछले साल भारतीय नौसेना में नौकरी पाने वाले अक्षदीप अब चीन में होने वाले एशियाई खेलों और हंगरी में  विश्व चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन खेलों में पदक जीतने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा और इससे अगले साल पेरिस ओलंपिक खेलों से पहले मेरा आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।’’

अक्षदीप के परिवार के पास बरनाला में दो एकड़ कृषि भूमि है। उनके पिता एक केमिकल फैक्ट्री में काम करते हैं जबकि उनकी मां आंगनवाड़ी में हैं।

पंजाब सरकार ने पिछले महीने अक्षदीप को 2024 ओलंपिक खेलों की तैयारी के लिए पांच लाख रुपये दिए थे।










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