विधानसभा चुनावों के नतीजों को लेकर डरी भाजपा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर दे रही है जोर : योगेंद्र यादव

डीएन ब्यूरो

स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को इसीलिए बढ़ाना चाहती है क्योंकि वह राज्य विधानसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन से डरी हुई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव
स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव


ठाणे: स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा को इसीलिए बढ़ाना चाहती है क्योंकि वह राज्य विधानसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन से डरी हुई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक महाराष्ट्र के ठाणे शहर में शनिवार रात एक कार्यक्रम के दौरान यादव ने दावा किया कि यह अवधारणा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक पार्टी और एक नेता’ को बढ़ावा देने के अलावा और कुछ नहीं है।

अगले माह पांच राज्यों- मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं।

यादव ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव अगले 50 वर्षों के लिए देश की दिशा तय करेगा, इसलिए अगले साल होने वाले चुनाव देश के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

यादव ने दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की ताकत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और भाजपा इससे चिंतित है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मुद्दे अलग-अलग होते हैं और जब वे विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाताओं के पास जाते हैं तो वे स्थानीय मुद्दों के लिए जवाबदेह होते हैं, जो उनके (भाजपा) लिए बहुत मुश्किल होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का चुनाव सुधारों से कोई लेना-देना नहीं है और इसका मूल उद्देश्य (अवधारणा को आगे बढ़ाने का) अलग है।’’

यादव ने यह भी दावा किया कि भाजपा जातिगत जनगणना नहीं चाहती क्योंकि उसे डर है कि इसके परिणाम से विभिन्न जातियों की वास्तविक आर्थिक और शैक्षिक स्थिति सामने आ जाएगी और फिर पार्टी के लिए इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ जातिगत जनगणना देश में सामाजिक व्यवस्था का ‘एक्स-रे’ है।’’

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए दावा किया कि देश में मौजूदा स्थिति असीमित अवधि के लिए ‘‘अघोषित आपातकाल’’ जैसी है।

स्वराज इंडिया के नेता ने दावा किया, ‘‘भाजपा को संघ परिवार का बाहरी संरक्षण प्राप्त है’’, जबकि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन को ऐसा संरक्षण प्राप्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश के लोगों को ‘इंडिया’ गठबंधन को समर्थन और ताकत देने की जरूरत है क्योंकि इससे आशा की किरण दिखाई दी है।

यादव ने दावा किया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए कई राज्यों में भाजपा की लोकप्रियता कम हो रही है। ऐसे में उसे 2024 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि देश के लोगों के बीच अपनी जगह बनाने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन को बेरोजगारी, महंगाई, सांप्रदायिक वैमनस्य जैसे मुद्दों से निपटने और महिलाओं एवं किसानों के कल्याण के लिए कदम उठाने की ठोस योजना के साथ उनके पास जाना चाहिए।

यादव ने कहा कि देश को एक ‘‘नयी सपने’’ की जरूरत है और यह विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ही दे सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर वे एक भी मुद्दे के साथ सड़कों पर उतरते हैं, तो इससे देश का माहौल बदल जाएगा, केवल संसदीय गठबंधन पर्याप्त नहीं होगा।

उन्होंने लोगों से चुनाव विश्लेषण बंद करने और देश में बदलाव लाने की दिशा में काम करने को कहा।

यादव ने दावा किया, 21वीं सदी में लोकतंत्र की ‘‘हत्या नए स्मार्ट तरीके से की जा रही है।’’

मुस्लिमों पर अत्याचार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लगातार इस तरह का उत्पीड़न बेहद खतरनाक है।’’

यादव ने कहा कि वर्तमान में जिन अन्य चुनौतियों का सामना किया जा रहा है उनमें धर्मनिरपेक्षता, संघवाद और सामाजिक न्याय से संबंधित चुनौतियां शामिल हैं।

यादव ने कहा, ‘‘वर्तमान में हम जो देख रहे हैं वह कॉर्पोरेट और राजनीतिक नेतृत्व संबंधों का नया मॉडल है। कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को इंजन बनाया गया है और बाकी देश उससे जुड़ी बोगियां हैं।’’

उन्होंने बताया कि ऐसा देश में पहली बार हो रहा है।

उन्होंने दावा कि पिछले 70 वर्षों से बनी सामाजिक न्याय की नींव को तोड़ने का काम अब शुरू हो गया है और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण इस दिशा में पहला कदम है।

उन्होंने कहा कि आज भारत के गणतंत्र को बचाने की भी सख्त जरूरत है।

यादव ने कहा, ‘‘हमारी यह गलती रही कि हमने राष्ट्रवाद, सभ्यता की विरासत और हिंदू धर्म के मुद्दे को ज्यादा तवज्जों देना बंद कर दिया, जिसे भाजपा ने उठाया और इसका इस्तेमाल किया।’’

उन्होंने कहा कि अब इन मुद्दों पर वापस आने का समय आ गया है।

 










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