रिश्वत मामले में गिरफ्तार पूर्व आरपीएस अधिकारी के रिसॉर्ट पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया

डीएन ब्यूरो

भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राजस्थान पुलिस सेवा (आरपीएस) की निंलबित अधिकारी के उदयपुर स्थित रिसॉर्ट पर किये गये अवैध निर्माण को शुक्रवार को उदयपुर नगर विकास प्रन्यास (यूआईटी) द्वारा ध्वस्त कर दिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
फाइल फोटो


उदयपुर: भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राजस्थान पुलिस सेवा (आरपीएस) की निंलबित अधिकारी के उदयपुर स्थित रिसॉर्ट पर किये गये अवैध निर्माण को शुक्रवार को उदयपुर नगर विकास प्रन्यास (यूआईटी) द्वारा ध्वस्त कर दिया।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने राज्य पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को रिश्वत मांगने के एक मामले में 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था और बाद में उन्हें निलंबित कर दिया गया था। डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, आरोपियों ने शिकायतकर्ता से दो करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी।

परिवादी द्वारा शिकायत दी गई कि उसके विरूद्ध मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में दर्ज प्रकरणों में गिरफ्तार नहीं करने तथा मदद करने की एवज में जांच अधिकारी एवं अजमेर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसओजी) दिव्या मित्तल द्वारा अपने बिचौलिए सुमीत कुमार के माध्यम से स्वयं एवं उच्च अधिकारियों के नाम पर दो करोड़ रुपये की रिश्वत राशि की मांग कर परेशान किया जा रहा है।

एसीबी की सत्यापन प्रक्रिया में आरोपी एएसपी मित्तल व उसके बिचौलिए सुमीत द्वारा परिवादी से दो करोड़ रुपये रिश्वत की मांग सत्यापित हुई।

सूत्रों के अनुसार रिश्वत मामले में गिरफ्तार निलंबित आरपीएस अधिकारी दिव्या मित्तल ने उदयपुर यूआईटी से शहर से करीब 25 किमी दूर चिकलवास गांव में फॉर्म हाउस के लिए जमीन की मंजूरी ली थी, लेकिन यहां रिसॉर्ट बनाकर कॉमर्शियल उपयोग किया जा रहा था।

उदयपुर यूआईटी के तहसीलदार विमलेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘यह कार्रवाई यूआईटी अधिनियम की धारा 91 (ए) के तहत नोटिस देकर की गयी है । इसके तहत जो भी बिना स्वीकृति के अवैध निर्माण किया गया है उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा रही है।

उन्होंने बताया कि दो फार्म हाउस के पट्टे दिव्या मित्तल और सुमित जाट के नाम से जारी किये गये थे। उन्होंने बताया कि दिव्या मित्तल के फार्म हाउस पर निर्माण क्षेत्र से ज्यादा निर्माण किया गया था और सुमित जाट के पट्टे पर कोई निर्माण की अनुमति नहीं थी फिर भी उस पर निर्माण किया गया था। इसमें 60 प्रतिशत से अधिक निर्माण अवैध था, उसको ध्वस्त करने की कार्रवाई की गई है।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में 23 फरवरी को नोटिस जारी किया गया था जिसे मुख्यद्वार पर चस्पा कर दिया गया था। उसके बाद निर्माण ध्वस्त करने संबंधी कार्रवाई के लिये एक मार्च को जारी नोटिस को भी चस्पा कर दिया गया था।

उन्होंने कहा पूरा समय देने के बाद यह कार्रवाई की गई है।

उन्होंने बताया कि नोटिस देने के समय भी कोई उपस्थित नहीं हुआ और ध्वस्त करने संबंधी जारी नोटिस के समय भी कोई उपस्थित नहीं हुआ तो फिर हमें एक तरफा कार्रवाई करनी पड़ी।










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