विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2025: भारत की बेटी ने रचा इतिहास, पुरुष वर्ग रहा खाली हाथ

विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2025 में भारत की जैस्मिन ने पोलैंड की जूलिया को हराकर गोल्ड मेडल जीता। महिला वर्ग में जहां भारत को गौरव मिला, वहीं पुरुष वर्ग में 12 साल बाद कोई पदक नहीं आया। जैस्मिन की यह जीत भारतीय महिला मुक्केबाज़ी के भविष्य की नई राह खोलती है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 14 September 2025, 7:18 AM IST
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New Delhi: विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में भारत की महिला मुक्केबाज जैस्मिन लंबोरिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। फाइनल में भारत की इस जांबाज़ बेटी ने पोलैंड की जूलिया को मात दी और न केवल अपने करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज की, बल्कि देश को भी गर्व का क्षण दिया। इससे पहले सेमीफाइनल में उन्होंने वेनेजुएला की कैरोलिना अल्काला को 5-0 से हराया था, जो उनकी तकनीकी और मानसिक दृढ़ता को दर्शाता है। लगातार दो कड़े मुकाबलों में जीत दर्ज कर फाइनल तक का सफर तय करना और फिर वहां भी गोल्ड हासिल करना उनके कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास का प्रतीक है।

भारत की बेटी का स्वर्णिम मुक्का

भारत की महिला मुक्केबाज ने इस चैंपियनशिप में जिस दबंग शैली और रणनीति से मुकाबले खेले, उसने न केवल दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय महिला मुक्केबाज़ी की प्रतिष्ठा को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। फाइनल मुकाबले में उन्होंने पहले राउंड से ही आक्रामक रुख अपनाया और पोलिश मुक्केबाज़ जूलिया को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। उनकी फुटवर्क, जैब्स और काउंटर पंचेज़ ने विपक्षी को कोई मौका नहीं दिया। तीनों राउंड्स में जजों ने सर्वसम्मति से भारत की ओर निर्णय दिया।

जैस्मिन लंबोरिया

जैस्मिन की उपलब्धि

भारत की इस स्वर्ण विजेता मुक्केबाज़ का नाम जैस्मिन लंबोरिया है, जो हरियाणा से आती हैं और पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगातार अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया है। इस जीत के साथ जैस्मिन विश्व चैंपियन बनने वाली भारत की 6वीं महिला मुक्केबाज़ बन गई हैं। उनकी कोच सीमा बिष्ट ने कहा कि जैस्मिन ने जिस तरह से मानसिक दबाव को संभाला और पूरे टूर्नामेंट में फोकस बनाए रखा, वो काबिल-ए-तारीफ है। यह सिर्फ एक खिलाड़ी की जीत नहीं, बल्कि एक सिस्टम और सपोर्ट नेटवर्क की जीत है जो महिला खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का अवसर देता है।

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पुरुष वर्ग में निराशाजनक प्रदर्शन

जहां एक ओर महिला मुक्केबाज़ ने देश का नाम रोशन किया, वहीं पुरुष वर्ग में निराशा हाथ लगी। पिछले 12 वर्षों में यह पहला मौका है जब भारत का पुरुष मुक्केबाज़ी दल खाली हाथ लौटा है। जदुमणि सिंह को कजाखस्तान के मौजूदा विश्व चैंपियन सांजेर ताशकेनबे के खिलाफ 0-4 से हार का सामना करना पड़ा। यह मुकाबला बेहद कठिन था, लेकिन जदुमणि पूरे मैच में अपने विपक्षी के आक्रमण के सामने जूझते नजर आए।

महिला मुक्केबाज़ों का बढ़ता वर्चस्व

हाल के वर्षों में भारत की महिला मुक्केबाज़ों ने लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। मैरी कॉम, लवलीना बोरगोहेन, निकहत ज़रीन के बाद अब जैस्मिन कौर ने भी इस कड़ी को मजबूत किया है। इससे साफ है कि महिला मुक्केबाज़ी में भारत का भविष्य उज्जवल है, लेकिन पुरुष वर्ग को फिर से अपने प्रदर्शन को सुधारने की जरूरत है। महिला मुक्केबाज़ों को बेहतर प्रशिक्षण, स्पॉन्सरशिप और सुविधाएं देने से उनका आत्मविश्वास और प्रदर्शन लगातार बेहतर होता जा रहा है।

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