

श्रेयस अय्यर के एशिया कप 2025 में शामिल नहीं किए जाने पर की कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। इसी बीच इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर के बयान ने क्रिकेट जगत में नई बहस छेड़ दी है। उनका मानना है कि एशिया कप में ना शामिल होने की वजह उनकी खुद की एक क्वालिटी है।
श्रेयस अय्यर (Img: Internet)
New Delhi: एशिया कप 2025 शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन भारतीय क्रिकेट में टीम चयन को लेकर चर्चाएं और बहसें लगातार जारी हैं। खासतौर पर श्रेयस अय्यर को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इतने शानदार टी20 रिकॉर्ड और हालिया आईपीएल प्रदर्शन के बावजूद उन्हें भारतीय टीम में जगह क्यों नहीं मिली। हैरानी की बात यह है कि अय्यर न सिर्फ मुख्य टीम से बाहर हैं, बल्कि रिजर्व खिलाड़ियों की सूची में भी उनका नाम शामिल नहीं किया गया है।
श्रेयस अय्यर ने आईपीएल 2024 में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) की कप्तानी करते हुए टीम को चैंपियन बनाया था। इसके अगले ही सीजन, यानी आईपीएल 2025 में उन्होंने पंजाब किंग्स की कप्तानी संभालते हुए टीम को फाइनल तक पहुंचाया। हालांकि फाइनल में पंजाब को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के हाथों हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अय्यर की कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों की ही खूब तारीफ हुई। इसके अलावा अय्यर के पास घरेलू क्रिकेट में भी कप्तानी का भरपूर अनुभव है, जिससे उनके नेतृत्व कौशल की पुष्टि होती है।
श्रेयस अय्यर (Img: X)
इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर ने मीडिया से बातचीत में एक हैरान करने वाला बयान दिया। उनका मानना है कि श्रेयस अय्यर की कप्तानी क्षमता ही उनके टीम में चयन में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। पनेसर ने कहा, "श्रेयस अय्यर को भारतीय टीम में जगह बनाने में शायद दिक्कत हो रही है क्योंकि उनमें नेतृत्व क्षमता है और इस समय टीम ने शायद इस पर काम किया है। इससे चयनकर्ताओं को एक ऐसे युवा खिलाड़ी को लाने का मौका मिलता है जो खेलने में थोड़ा ज़्यादा रोमांचक हो, जिसे कोच गौतम गंभीर आसानी से संभाल सकें।"
पनेसर का इशारा स्पष्ट था टीम मैनेजमेंट और कोचिंग स्टाफ शायद ऐसे खिलाड़ियों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो नेतृत्व की भूमिका में चुनौती न बनें, बल्कि टीम संरचना में सहजता से घुल-मिल जाएं।
हालांकि पनेसर ने यह भी माना कि श्रेयस अय्यर की बल्लेबाजी प्रतिभा अद्भुत है और यदि वह रन बनाते रहेंगे, तो उन्हें टीम से बाहर रखना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, "अगर वह रन बनाते रहेंगे, तो उन्हें खेलना ही चाहिए। उनकी प्रतिभा अविश्वसनीय है। भारत पहले कभी इतना भाग्यशाली नहीं रहा कि उसके पास दो या तीन टीमें तैयार हों जो विश्व स्तर पर मुकाबला कर सकें।"
श्रेयस अय्यर की अनदेखी पर उठते सवाल और मोंटी पनेसर जैसे पूर्व क्रिकेटरों के बयान यह साफ दर्शाते हैं कि टीम चयन सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं रह गया है। नेतृत्व, टीम संतुलन और मैनेजमेंट की रणनीतियां अब कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। देखना दिलचस्प होगा कि अय्यर आने वाले महीनों में अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को दोबारा सोचने पर मजबूर कर पाते हैं या नहीं।